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आपके इन लक्षणों से जानिए आपके बुरे/ख़राब ग्रह(समय) का प्रभाव/कारण–

आपके इन लक्षणों से जानिए आपके बुरे/ख़राब ग्रह(समय) का प्रभाव/कारण–
 
 किसी मनुष्य के जीवन में कौन-सा ग्रह अशुभ प्रभाव दाल रहा है, इसका औसत निर्धारण उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं के आधार पर भी ज्ञात किया जा सकता है | विभिन्न ग्रहों की अशुभ स्थिति पर निम्नलिखित लक्षण प्राप्त होते हैं –
 
1-सूर्य-  तेज का अभाव, आलस्य, अकड़न, जड़ता, कन्तिहिनता, म्लान छवि, मुख(कंठ) में हमेशा थूक का आना | लाल गाय या वस्तुओं का खो जाना या नष्ट हो जाना, भूरी भैंस या इस रंग के सामान की क्षति | हृदय क्षेत्र में दुर्बलता का अनुभव |
 
2-चन्द्र-  दुखी, भावुकता, निराशा, अपनी व्यथा बताकर रोना, अनुभूति क्षमता का ह्रास, पालतू पशुओं की मृत्यु, जल का अभाव (घर में), तरलता का अभाव (शरीर में), मानसिक विक्षिप्तता की स्तिथि, मानसिक असन्तुलन या हताशा के कारण गुमसुम रहना, घर के क्षेत्र में कुआं या नल का सूखना, अपने प्रभाव क्षेत्र में तालाब का सुखना आदि |
 
3-मंगल-  दृष्टि दुर्बलता, चक्षु (आंख) क्षय, शरीर के जोड़ों में पीड़ा और अकड़न, कमर एवं रीढ़ की हड्डी में दर्द तथा अकड़न, रक्त की कमी, त्वचा के रंग का पिला पड़ना, पीलिया होना, शारीरिक रूप से सबल होने पर भी संतानोत्पत्ति की क्षमता का न होना, शुक्राणुओं की दुर्बलता, नपुंसकता (शिथिलता), पति पक्ष की हानि (स्वास्थ्य , धन, प्राण आदि) |
 
4-बुध- अस्थि दुर्बलता, दंतक्षय, घ्राणशक्ति का क्षय होना, हकलाहट, वाणी दोष, हिचकी, अपनी बातें कहने में गड़बड़ा जाना, नाक से खून बहना, रति शक्ति का क्षय (स्त्री-पुरुष दोनों की), नपुंसकता (स्नायविक), स्नायुओं का कमजोर पड़ना, बन्ध्यापन (स्नायविक), कंधो का दर्द, गर्दन की अकड़न, वैवाहिक सम्बन्ध में क्षुब्धता, व्यापार की भागीदारी में हानि, रोजगार में अकड़न, शत्रु उपद्रव, परस्त्री लोलुपता या सम्बन्ध, परपुरुष लोलुपता या सम्बन्ध, अहंकार से हानि, पड़ोसी से अनबन रहना, कर्ज |
 
5-बृहस्पति-  चोटी के बाल का उड़ना, धन या सोने का खो जाना या चोरी हो जाना या हानि हो जाना, शिक्षा में रुकावट, अपयश , व्यर्थ का कलंक, सांस का दोष, अर्थहानी, परतंत्रता, खिन्नता, प्रेम में असफलता, प्रियतमा की हानि (मृत्यु या अनबन), प्रियमत की हानि (मृत्यु या अनबन), जुए में हानि, सन्तानहानि (नपुंसकता, बन्ध्यापन, अल्पजीवन), आत्मिक शक्ति का अभाव, बुरे स्वप्नों का आना आदि |
 
6-शुक्र– स्वप्नदोष, लिंगदोष, परस्त्री लोलुपता, शुक्राणुहीनता या कर्ज, नाजायज सन्तान, त्वचा रोग, अंगूठे की हानि (हाथ), पड़ोसी से हानि, कर्ज की अधिकता, परिश्रम करने पर भी आर्थिक लाभ नहीं, भूमि हानि आदि |
 
7-शनि-  व्यवसाय में हानि, अर्थहानि, रोजगार में हानि, अधिकार हानि, अपयश, मान-सम्मान की हानि, कृषि-भूमि की हानि, बुरे कार्यों में प्रवृत्ति, मकान हानि, अधार्मिक प्रवृत्ति (नास्तिकता), रिश्वत लेते पकड़े जाना या रिश्वत में हंगामा और अपयश, रोग, आकस्मिक मृत्यु, ऊंचाई से गिरकर शरीर या प्राणहानि, अचानक धनहानि, दुर्घटना, निराशा, घोर अपमान, निन्दक प्रवृत्ति, राजदण्ड |
 
8-राहु-संतानहीनता, विद्याहानि, बुद्धिहानि, उज्जड़ता, अरुचि, पूर्ण नपुंसकता, बन्ध्यापन, अन्याय करने की प्रवृत्ति, क्रूरता, रोजगारहानि, भूमिहानि, आकस्मिक अर्थहानि, राजदण्ड, शत्रुपिड़ा, बदनामी, कारावास का दण्ड, घर से निकाला, चोरी हो जाना, चोर-डाकू से हानि, दु:स्वप्न, अनिद्रा, मानसिक असंयता |
 
9-केतु- रोग, ऋण की बढ़ोत्तरी, लड़ाई-झगड़े से हानि, भाई से दुश्मनी, घोर दु:ख, नौकरों की कमी, अस्त्र से शारीरक क्षति, सांप द्वारा काटना, आग से हानि, शत्रु से हानि, अन्याय की प्रवृत्ति, पाप-प्रवृत्ति, मांस खाने की प्रवृत्ति, राजदण्ड (कैद) |
 
उपर्युक्त लक्षणों के अनुसार बिना कुण्डली देखे भी आप जान सकते हैं कि आपको किस ग्रह के अशुभ प्रभाव का उपचार करना चाहिए | ग्रहों के उपचार ग्रहफल में हैं |

“बसंत पंचमी”

जानिए आखिर क्या है बसंतोत्सव / बसंत पर्व / “बसंत पंचमी” अथवा मधुमास पर्व ….

प्रिय पाठकों/मित्रों,माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी कहा जाता है। माना जाता है कि विद्या, बुद्धि व ज्ञान की देवी सरस्वती का आविर्भाव इसी दिन हुआ था। इसलिए यह तिथि वागीश्वरी जयंती व श्री पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है। ऋग्वेद के 10/125 सूक्त में सरस्वती देवी के असीम प्रभाव व महिमा का वर्णन किया गया है। हिंदूओं के पौराणिक ग्रंथों में भी इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है व हर नए काम की शुरुआत के लिए यह बहुत ही मंगलकारी माना जाता है। कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष बसंत पंचमी का त्यौहार 01 फरवरी 2017 को होगा।बसंत पंचमी, ज्ञान, संगीत और कला की देवी, ‘सरस्वती’ की पूजा का त्योहार है। इस त्योहार में बच्चों को हिंदू रीति के अनुसार उनका पहला शब्द लिखना सिखाया जाता है।बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।इस दिन पीले वस्त्र धारण करने का रिवाज़ है। बसंत पंचमी सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है। हर कोई बहुत मज़े और उत्साह के साथ इस त्यौहार का आनंद लेता है।

बसंत पंचमी पूजन मुहूर्त — वसंत पंचमी वसंत के आगमन का सूचक होती है। यह पर्व माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस बार यह पर्व बुधवार, 1 फरवरी 2017 को मनाया जाएगा।
इस दिन पूजन सुबह 7.10 से 8.28 अमृत चौघडिया में व फिर 9.51 से 11.09 तक शुभ के चौघडिया में करें।

हमारे देश भारत में – शीत ऋतु के बाद मधुमास अथवा बसंत ऋतु का आगमन होता है . यह ऋतु बड़ी मस्त . .बड़ी मनभावन होती है। शीत काल में प्रकृति का वो सबकुछ जो कड़क ठंड से नष्ट अथवा सुशुप्त अवस्था में हो गया था वो पुनः नवीन रूप में हर बार से और सुन्दर शक्तिवान और स्फूर्तिमय हो चारो दिशाओं के वातावरण को आच्छादित कर देता है . अर्थात हमारे चारों ओर प्रकृति के नज़ारों में खुला आकाश और वृक्ष – पेड़ – पौधे लताएँ ..बाग़- बगीचा ..ही द्रश्यमान होतें है . तो कहने का तात्पर्य यह कि – इस समय खिली -2 धूप बेल- लताओं में नए-2 पत्ते – कोंपलें ..मंजरियाँ तथा रंग- बिरंगे -सुंगंधित फूलों के गुच्छों से सजे ..पेड़ – पौधे साथ ही स्वादिष्ट फलों से लदी वृक्षों – की डालियाँ ..कलरव करते ..पक्षी- गण ..मस्त चलती बयार किसको नही आनंदित कर देती है . .? अर्थात सभी लोग इस बसंत ऋतु में प्रसन्नचित्त स्वतः हो जातें हैं . यह सभी को खुश करने का ” क़ुदरत का अनमोल तोहफ़ा ” ही समझना चाहिए . वैसे सभी मौसम . . . ऋतुएँ अपनी -2 अलग-अलग विशेषता लिए होतीं है . पर मधुमास की विशेषता इसको अपने आप में विशेष होने के कारण इसे सर्वोपरि बना देती है।
हमारे भारतीय शास्त्रीय संगीत में इस मौसम के कई ” राग ” और अनेक गीतों का भण्डार है . एक राग तो ” राग-बसंत ” के ही नाम से जानी जाती है |
इस पर्व और मधुमास के बारे में हमारे अनेक कवियों ने -रचनाकारों ने कई उल्लेखनीय वर्णन किया है ; उनमें से ” कालिदास ” का नाम कौन भूल सकता है , भला ?
बसंत पर्व से जुडी कई किवदंतिया , कथाएं अथवा प्रसंग इत्यादि जाने जातें हैं . जैसे महादेव और कामदेव , श्री राधा – कृष्णा |
इस दिन सभी लोग “माँ सरस्वती ” का पूजन अर्चन करते हैं। पीले फल और प्रसाद चढ़ाते है। इस दिन लोग बसंती रंग के वस्त्र धारण करते हैं .इतना ही नहीं घर में भोजन पकवान भी पीले रंग यानी बसंती रंग के बनातें हैं . लोग पतंगे उडातें है . बुंदेलखंड के कहीं -2 घरों में कुछ स्त्रियाँ पीले फूलों की चौक बना कर , बीच मैं ‘गौर’ रख पूजा करतीं हैं ” सुहाग ” लेती हैं .यानी इस बसंत पर्व को लोग पूरे तन-मन धन से बसंती बन बसंतोत्सव को धूम- धाम से मना कर आनंदित होतें है |

ऐसे करे सरस्वती वन्दना —
सरस्वती या कुन्देन्दु देवी सरस्वती को समर्पित बहुत प्रसिद्ध स्तुति है जो सरस्वती स्तोत्रम का एक अंश है। इस सरस्वती स्तुति का पाठ वसन्त पञ्चमी के पावन दिन पर सरस्वती पूजा के दौरान किया जाता है।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

पौराणिक कथा—
—- माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि की रचना तो कर दी लेकिन वे इसकी नीरसता को देखकर असंतुष्ट थे फिर उन्होंनें अपने कमंडल से जल छिटका जिससे धरा हरी-भरी हो गई व साथ ही विद्या, बुद्धि, ज्ञान व संगीत की देवी प्रकट हुई। ब्रह्मा जी ने आदेश दिया कि इस श्रृष्टि में ज्ञान व संगीत का संचार कर जगत का उद्धार करो। तभी देवी ने वीणा के तार झंकृत किए जिससे सभी प्राणी बोलने लगे, नदियां कलकल कर बहने लगी हवा ने भी सन्नाटे को चीरता हुआ संगीत पैदा किया। तभी से बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में सरस्वती पूजी जाने लगी।
मान्यता है कि जब सरस्वती प्रकट हुई तो भगवान श्री कृष्ण को देखकर उनपर मोहित हो गई व भगवान श्री कृष्ण से पत्नी रुप में स्वीकारने का अनुरोध किया, लेकिन श्री कृष्ण ने राधा के प्रति समर्पण जताते हुए मां सरस्वती को वरदान दिया कि आज से माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी को समस्त विश्व तुम्हारी विद्या व ज्ञान की देवी के रुप में पूजा करेगा। उसी समय भगवान श्री कृष्ण ने सबसे पहले देवी सरस्वती की पूजा की तब से लेकर निरंतर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा लोग करते आ रहे हैं।

—-सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं|
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जानिए वसंत पंचमी के दिन को बेहतर बनाने के अचूक उपाय—

1. इस दिन तीव्र बुद्धि पाने के लिए सुबह स्नान कर लें. सभी देवी – देवताओं की समान्य रूप से पूजा करें और माँ काली के दर्शन करने के लिए मंदिर जाएँ. मंदिर में जाने के बाद उनसे हाथ जोड़कर अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. अब काली माँ को पेठे की मिठाई का भोग लगायें या फल का भोग लगायें. इसके बाद निम्नलिखित मन्त्र का 11 बार जाप करें.

मन्त्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महा सरस्वत्यै नम:

2. अगर आप किसी केस में फसे हुए हैं और उसका परिणाम आपके हक में नहीं आ रहा हैं या आपको स्वास्थ्य से जुडी हुई किसी अन्य परेशानी का सामना करना पड रहा हैं या वैवाहिक जीवन में तनाव हैं. तो इन सभी परेशानियों से राहत पाने के लिए वसंत पंचमी के दिन प्रातः उठकर स्नान कर पीले वस्त्र धारण कर लें और यदि आपको संगीत पसंद हैं और आप संगीत के क्षेत्र में ही आगे जाना चाहते हैं. तो इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें. अब सरस्वती जी की समान्य विधि से पूजन करें और माँ सरस्वती का ध्यान करके निम्नलिखित मन्त्र का जाप 21 बार करें. जाप सम्पूर्ण होने के बाद सरस्वती जी को शहद का भोग लगायें और उस प्रसाद को अपने घर के सभी सदस्यों में वितरित कर दें.

मन्त्र – ह्रीं वाग्देव्यै ह्रीं ह्रीं

3. यदि किसी विद्यार्थी को अथक परिश्रम करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो पा रही हैं. तो उसे वसंत पंचमी के दिन इस उपाय को करना चाहिए. इस उपाय को आप किसी भी गुरूवार से शुरू कर सकते हैं. अगर आप इस उपाय को किसी शुभ समय में शुरू करना चाहते हैं तो इस उपाय को करने का सबसे अच्छा दिन शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि हैं. इस उपाय को करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर ले. अब एक तांबे की या स्टील की थाली लें. अब इस थाली में कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बना लें और अपने मन में गणेश जी का ध्यान करें. अब इस थाली पर बने स्वास्तिक के चिन्ह के ऊपर एक सरस्वती माता का यंत्र स्थापित कर लें. इसके बाद 8 नारियल लें और इन्हें थाली के सामने रख दें. अब इस थाली में रखे यंत्र पर पुष्प, चन्दन व अक्षत चढाएं. इसके बाद धूप एवं शुद्ध घी का दीपक जला लें और माता सरस्वती जी की आरती करें. आरती करने के बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए निम्नलिखित सरस्वती माँ के मन्त्र की एक स्फटिक की माला या तुलसी की एक माला का जाप करें.

मन्त्र – ॐ सरस्वत्यै नम:

सरस्वती जी के इस मन्त्र का जाप करने के बाद पूजन की सारी सामग्री को एकत्रित कर लें और उसे जल में प्रवाहित कर दें. इस उपाय को करने से आपको आपकी मेहनत का फल अवश्य मिलेगा.

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क्यों विशेष है बसंत पंचमी—
—- बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं। —– पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है।
—–बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
—–6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है।
— चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं इस लिहाज से अपने परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है व बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं।
— गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।
— इस दिन कई लोग पीले वस्त्र धारण कर पतंगबाजी भी करते हैं।
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जानिए बसंत पंचमी पर कैसे करें पूजा—
इस दिन प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें। फिर मां सरस्वती की पूजा करें। मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं। फिर माता का श्रंगार कराएं माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। प्रसाद के रुप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढा सकते हैं। श्वेत फूल माता को अर्पण किये जा सकते हैं।
—–कुछ क्षेत्रों में देवी की पूजा कर प्रतिमा को विसर्जित भी किया जाता है।
—–विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।
—-संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने साज पर तिलक लगा कर मां की आराधना कर सकते हैं व मां को बांसुरी भेंट कर सकते हैं।

ये हैं 2017 में बसंत पंचमी – पूजा का शुभ मुहूर्त—
बसंत पंचमी – 01 फरवरी 2017
पूजा का समय – 07:13 से 12:34 बजे तक
पंचमी तिथि का आरंभ – 03:41 बजे से (01 फरवरी 2017)
पंचमी तिथि समाप्त – 02:20 बजे (02 फरवरी 2017)

आप सभी को ” बसंत पर्व ” की बहुत- बहुत हार्दिक बधाई !
दो शब्द ..और मैं इस अवसर पर कहना चाहूंगा…कि—–
सभी इस पर्व को अपने जीवन वास्तविकता से उतारने का प्रयास करें अर्थात जब तक है’ तन-मन में जान’ तब तक हर किसी को जीने का और आनंदित रहने का अधिकार है ; किसी को किसी भी प्रकार उदास न होकर जीवन के हर पलों का प्रभु की अमानत समझ जीना चाहिए …खुशी से …उल्लास के साथ परन्तु मर्यादा के साथ ।
by Pt. Dayanand shastri

वास्तु पूजन के लाभ-हानि —

जानिए गृह वास्तु पूजन का प्रभाव, वास्तु पूजन का महत्त्व और वास्तु पूजन के
लाभ-हानि --
वास्तु का अर्थ है एक ऐसा स्थान जहाँ भगवान और मनुष्य एक साथ रहते हैं। हमारा शरीर पांच मुख्य पदार्थों से बना हुआ होता है और वास्तु का सम्बन्ध इन पाँचों ही तत्वों से  माना जाता है। कई बार ऐसा होता है कि हमारा घर हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होता है तब यह हमें प्रभावित करता है और इसे वास्तु दोष बोला जाता है। जानिए क्या है वास्तु शांति पूजा--- प्रिय मित्रों/पाठकों, अक्सर हम महसूस करते हैं कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुक्सान घर में होता रहता है। किसी भी कार्य के सिरे चढ़ने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। घर में मन नहीं लगता एक नकारात्मकता की मौजूदगी महसूस होती है। इन सब परिस्थितियों के पिछ वास्तु संबंधि दोष हो सकते हैं। हम माने या न माने लेकिन वास्तु की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है यह हर रोज हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा होता है। घर में मौजूद इन्हीं वास्तु दोषों को दूर करने के लिये जो पूजा की जाती है उसे वास्तु शांति पूजा कहते हैं। मान्यता है कि वास्तु शांति पूजा से घर के अंदर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं घर में सुख-समृद्धि आती है। प्रिय मित्रों/पाठकों, नवीन घर का प्रवेश उत्तरायण सूर्य में वास्तु पुजन करके ही करना चाहीये | उसके पहले वास्तु का जप यथाशक्ती करा लेना चाहिये | शास्त्रानुसार गृह प्रवेश में माघ ,फाल्गुन ,वैशाख, ज्येष्ठ , आदि मास शुभ बताये गये है | माघ महीने में प्रवेश करने वाले को धन का लाभ होता है | जो व्यक्ति अपने नये घर में फाल्गुन मास में वास्तु पुजन करता है , उसे पुत्र,प्रौत्र और धन प्राप्ति दोनो होता है | चैत्र मास में नवीन घर में रहने के लिये जाने वाले को धन का अपव्यय सहना पडता है | गृह प्रवेश बैशाख माह में करने वाले को धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती है | जो व्यक्ति पशुओ एवँम पुत्र का सुख चाहता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने नये मकान मे ज्येष्ठ माह में करना चाहिए | बाकी के महीने वास्तु पुजन व गृह प्रवेश में साधारण फल देने वाले होते हैं| शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर कृष्णपक्ष की दशमी तिथी तक वास्तुनुसार गृह प्रवेश वंश वृध्दि दायक माना गया है | धनु मीन के सुर्य यानी के मळमास में भी नये मकान में प्रवेश नहीं करना चाहीए | पुराने मकान को जो व्यक्ति नया बनाता है , और वापस अपने पुराने मकान में जाना चाहे , तब उस समय उपरोक्त बातों पर विचार नहीं करना चाहीए | जिस मकान का द्वार दक्षिण दिशा में हो तो गृह प्रवेश एकम् , छठ , ग्यारस आदि तिथियों में करना चाहिए | दूज , सातम् और बारस तिथि को पश्चिम दिशा के द्वार का गृह प्रवेश श्रेष्ठ बतलाया गया है| नवीन घर का प्रवेश उत्तरायण सूर्य में वास्तु पुजन करके ही करना चाहीये | उसके पहले वास्तु का जप यथाशक्ती करा लेना चाहिये | शास्त्रानुसार गृह प्रवेश में माघ ,फाल्गुन ,वैशाख, ज्येष्ठ , आदि मास शुभ बताये गये है | माघ महीने में प्रवेश करने वाले को धन का लाभ होता है | जो व्यक्ति अपने नये घर में फाल्गुन मास में वास्तु पुजन करता है , उसे पुत्र,प्रौत्र और धन प्राप्ति दोनो होता है | चैत्र मास में नवीन घर में रहने के लिये जाने वाले को धन का अपव्यय सहना पडता है | गृह प्रवेश बैशाख माह में करने वाले को धन धान्य की कोई कमी नहीं रहती है | जो व्यक्ति पशुओ एवँम पुत्र का सुख चाहता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने नये मकान मे ज्येष्ठ माह में करना चाहिए | बाकी के महीने वास्तु पुजन व गृह प्रवेश में साधारण फल देने वाले होते हैं| शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर कृष्णपक्ष की दशमी तिथी तक वास्तुनुसार गृह प्रवेश वंश वृध्दि दायक माना गया है | धनु मीन के सुर्य यानी के मळमास में भी नये मकान में प्रवेश नहीं करना चाहीए | पुराने मकान को जो व्यक्ति नया बनाता है , और वापस अपने पुराने मकान में जाना चाहे , तब उस समय उपरोक्त बातों पर विचार नहीं करना चाहीए | जिस मकान का द्वार दक्षिण दिशा में हो तो गृह प्रवेश एकम् , छठ , ग्यारस आदि तिथियों में करना चाहिए | दूज , सातम् और बारस तिथि को पश्चिम दिशा के द्वार का गृह प्रवेश श्रेष्ठ बतलाया गया है| वास्तु पूजा के लिये स्वस्तिवचन, गणपति स्मरण, संकल्प, श्री गणपति पूजन, कलश स्थापन, पूजन, पुनःवचन, अभिषेक, शोडेशमातेर का पूजन, वसोधेरा पूजन, औशेया मंत्रजाप, नांन्देशराद, योग्ने पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, अग्ने सेथापन, नवग्रह स्थापन पूजन, वास्तु मंडला पूजल, स्थापन, ग्रह हवन, वास्तु देवता होम, पूर्णाहुति, त्रिसुत्रेवस्तेन, जलदुग्धारा, ध्वजा पताका स्थापन, गतिविधि, वास्तुपुरुष-प्रार्थना, दक्षिणासंकल्प, ब्राम्हण भोजन, उत्तर भोजन, अभिषेक, विसर्जन आदि प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वहीं सांकेतिक पूजा में कुछ प्रमुख क्रियाएं ही संपन्न की जाती हैं जिन्हें नजरअंदाज न किया जा सके। लेकिन वास्तु शांति के स्थायी उपाय के लिये विद्वान ब्राह्मण से पूरे विधि विधान से उपयुक्त पूजा ही करवानी चाहिये। जब हम किसी भी भूमि पर घर की चारदिवारी बनतें ही यह वास्तुपुरूष उस घर में उपस्थित हो जाता है और गृह वास्तु के अनुसार उसके इक्यासी पदों (हिस्सों) में उसके शरीर के भिन्न-भिन्न हिस्से स्थापित हो जाते हैं और इनपर पैतालिस देवता विद्यमान रहते हैं, वैज्ञानिक दृष्टि से किसी भी मकान या जमीन में पैतालिस विभिन्न उर्जायें पाई जाती है और उन उर्जाओं का सही उपयोग ही वास्तुशास्त्र है।इस प्रकार वास्तुपुरुष के जिस पद में नियमों के विरुद्ध स्थापना या निर्माण किया जाता है उस पद का अधिकारी देवता अपनी प्रकृत्ति के अनुरूप अशुभ फल देते हैं तथा जिस पद के स्वामी देवता के अनुकूल स्थापना या निर्माण किया जाये उस देवता की प्रकृति के अनुरूप सुफल की प्राप्ती होती है। हिन्दू संस्कृति में गृह निर्माण को एक धार्मिक कृत्य माना है। संसार की समस्त संस्कृतियों में गृह निर्माण सांसारिक कृत्य से ज्यादा नहीं है। हिन्दू संस्कृति में व्यक्ति सूक्ष्म ईकाई है। वह परिवार का एक अंग है। परिवार के साथ घर का सम्बन्ध अविभाज्य है। इस धार्मिक रहस्य को समझने मात्र से ही हम वास्तु के रहस्य को जान पाएंगे, भवन निर्माण में से वास्तु विज्ञान को निकाल दिया जाए तो उसकी कीमत शून्य है। भूमि पूजन से लेकर गृह प्रवेश तक के प्रत्येक कार्य को धार्मिक भावनाओं से जोड़ा गया है। महर्षि नारद के अनुसार- अनेन विधिनां सम्यग्वास्तुपूजां करोति य:। आरोग्यं पुत्रलाभं च धनं धान्यं लभेन्नदर:॥ अर्थात्ï इस विधि से सम्यक प्रकार से जो वास्तु का पूजन करता है, वह आरोग्य, पुत्र, धन, धन्यादि का लाभ प्राप्त करता है। ============================================================= गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं- शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार शुभ हैं। शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी। शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्ताफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा। अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए। ================================================================= जानिए क्या होती हैं गृहशांति पूजन न करवाने से हानियां--- गृहवास्तु दोषों के कारण गह निर्माता को तरह-तरह की विपत्तियों का सामना करना पडता है। यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो दुस्वप्न आते हैं, अकालमृत्यु, अमंगल संकट आदि का भय हमेशा रहता है। गृहनिर्माता को भयंकर ऋणग्रस्तता, का समना करना पडता है, एवं ऋण से छुटकारा भी जल्दी से नहीं मिलता, ऋण बढता ही जाता है। घर का वातावरण हमेशा कलह एवं अशांति पूर्ण रहता है। घर में रहने वाले लोगों के मन में मनमुटाव बना रहता है। वैवाहि जीवन भी सुखमय नहीं होता। उस घर के लोग हमेशा किसी न किसी बीमारी से पीडित रहते है, तथा वह घर हमेशा बीमारीयों का डेरा बन जाता है। गहनिर्माता को पुत्रों से वियोग आदि संकटों का सामना करना पड सकता है। जिस गृह में वास्तु दोष आदि होते है, उस घर मे बरकत नहीं रहती अर्थात् धन टिकता नहीं है। आय से अधिक खर्च होने लगता है। जिस गृह में बलिदान तथा ब्राहमण भोजन आदि कभी न हुआ हो ऐसे गृह में कभी भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह गृह आकस्मिक विपत्तियों को प्रदान करता है। ===================================================== जानिए गृहशांति पूजन करवाने से लाभ----- यदि गृहस्वामी गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन संपन्न कराता है, तो वह सदैव सुख को प्राप्त करता है। लक्ष्मी का स्थाई निवास रहता है, गृह निर्माता को धन से संबंधित ऋण आदि की समस्याओं का सामना नहीं करना पडता है। घर का वातावरण भी शांत, सुकून प्रदान करने वाला होता है। बीमारीयों से बचाव होता है। घर मे रहने वाले लोग प्रसन्नता, आनंद आदि का अनुभव करते है। किसी भी प्रकार के अमंगल, अनिष्ट आदि होने की संभावना समाप्त हो जाती है। घर में देवी-देवताओं का वास होता है, उनके प्रभाव से भूत-प्रेतादि की बाधाएं नहीं होती एवं उनका जोर नहीं चलता। घर में वास्तुदोष नहीं होने से एवं गृह वास्तु देवता के प्रसन्न होने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। सुसज्जित भवन में गृह स्वामी अपनी धर्मपत्नी तथा परिवारीकजनों के साथ मंगल गीतादि से युक्त होकर यदि नवीन गृह में प्रवेश करता है तो वह अत्यधिक श्रैष्ठ फलदायक होता है। =================================================================== जानिए वास्तु देव पूजन का क्या है महत्व--- जब किसी भवन, गृह आदि का निर्माण पूर्ण हो जाता है, एवं गृहप्रवेश के पूर्व जो पूजन किया जाता है, उसे गृहशांति पूजन कहते है। यह पूजन एक अत्यंत आवश्यक पूजन है, जिससे गृह-वास्तु-मंडल में स्थित देवता उस मकान आदि में रहने वाले लोगों को सुख, शांति, समृद्धि देने में सहायक होते हैं। यदि किसी नये गृह मंे गृहशांति पूजन आदि न करवाया जाए तो गृह-वास्तु -देवता लोगों के लिए सर्वथा एवं सर्वदा विध्न करते रहते है। गृह, पुर एवं देवालय के सूत्रपात के समय, भूमिशोधन, द्वारस्थापन, शिलान्यास एवं गृहप्रवेश इन पांचों के आरम्भ में वास्तुशांति आवश्यक है। गृह-प्रवेश के आरंभ में गृह-वास्तु की शांति अवश्य कर लेनी चाहिए। यह गृह मनुष्य के लिए ऐहिक एवं पारलोकिक सुख तथा शांिन्तप्रद बने इस उद्देश्य से गृह वास्तु शांति कर्म का प्रतिपादन ऋषियों द्वारा किया गया। कर्मकाण्ड में वास्तुशांति का विषय अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि, जरा सी भी त्रुटि रह जाने से लाखों एवं करोडों रूपये व्यय करके बनाया हुआ गृह जरा से समय मे भूतों का निवास अथवा गृहनिर्माणकर्ता, शिल्पकार अथवा गृहवास्तु शांति कराने वाले विद्वान के लिए घातक हो सकता है। वास्तुशांति करवाने वाले योग्य पंडित का चुनाव ही महत्तवपूर्ण होता है, कारण कि वास्तुशांति का कार्य यदि वैदिक विधि द्वारा पूर्णतः संपन्न नहीं होता तो गृहपिण्ड एवं गृहप्रवेश का मुहूर्त भी निरर्थक हो जाता है। अतः गृह निर्माण कर्ता को कर्मकाण्डी विद्वान का चुनाव अत्यधिक विचारपूर्वक करना चाहिए। वास्तु प्राप्ति के लिए अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन, शिलान्यास, द्वार स्थापन व गृह प्रवेश आदि अवसरों पर वास्तु देव पूजा का विधान है। घर के किसी भी भाग को तोड़ कर दोबारा बनाने से वास्तु भंग दोष लग जाता है। इसकी शांति के लिए वास्तु देव पूजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी यदि आपको लगता है कि किसी वास्तु दोष के कारण आपके घर में कलह, धन हानि व रोग आदि हो रहे हैं तो आपको नवग्रह शांति व वास्तु देव पूजन करवा लेना चाहिए। किसी शुभ दिन या रवि पुण्य योग को वास्तु पूजन कराना चाहिए। 
 वास्तु देव पूजन के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार हैः--- रोली, मोली, पान के पत्ते, लौंग, इलायची, साबुत सुपारी, जौ, कपूर, चावल, आटा, काले तिल, पीली सरसों, धूप, हवन सामग्री, पंचमेवा, शुद्ध धी, तांबे का लोटा, नारियल, सफेद वस्त्र, लाल वस्त्र-2, पटरे लकड़ी के, फूल, फूलमाला, रूई, दीपक, आम के पत्ते, आम की लकड़ी, पंचामृत (गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) स्वर्ण शलाखा, माचिस, नींव स्थापन के लिए अतिरिक्त सामग्री, तांबे का लोटा, चावल, हल्दी, सरसों, चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा, अष्टधातु कश्यप, (5) कौडि़यां, (5) सुपारी, सिंदूर, नारियल, लाल वस्त्र घास, रेजगारी, बताशे, पंचरत्न, पांच नई ईंटे। पूजन वाले दिन प्रातःकाल उठकर प्लॉट/घर की सफाई करके शुद्ध कर लेना चाहिए। जातक को पूर्व मुखी बैठकर अपने बाएं तरफ धर्मपत्नी को बैठाना चाहिए। पूजा के लिए किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण की सहायता लेनी चाहिए। ब्राह्मण को उत्तर मुखी होकर बैठना चाहिए। मंत्रोच्चारण द्वारा शरीर शुद्धि, स्थान शुद्धि व आसन शुद्धि की जाती है। सर्वप्रथम गणेश जी का आराधना करनी चाहिए। तत्पश्चात नवग्रह पूजा करना चाहिए। वास्तु पूजन के लिए गृह वास्तु में (81) पव के वास्तु चक्र का निर्माण किया जाता है। 81 पदों में (45) देवताओं का निवास होता है। ब्रह्माजी को मध्य में (9) पद दिए गए है। चारों दिशाओं में (32) देवता और मध्य में (13) देवता स्थापित होते हैं। इनका मंत्रोच्चरण से आह्वान किया जाता है। इसके पश्चात आठों दिशाओं, पृथ्वी व आकाश की पूजा की जाती है। इस सामग्री में तिल, जौ, चावल, घी, बताशे मिलाकर वास्तु को निम्न मंत्र पढ़ते हुए 108 आहुतियां दी जाती हैं। मंत्र- ऊँ नमो नारायणाय वास्तुरूपाय, भुर्भुवस्य पतये भूपतित्व में देहि ददापय स्वाहा।। तत्पश्चात आरती करके श्रद्धानुसार ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इस प्रकार वास्तु देव पूजन करने से उसमें रहने वाले लोगों को सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नीव पूजन, वास्तु शांति एवं गृह प्रवेश के लिए ब्राह्मण की आवश्यकता है तो आप हमसे अवश्य संपर्क करें--09669290067,...09039390067... ये हैं पंचांग अनुसार वर्ष 2017 के वास्तु पूजन शेष मुहूर्त- 23-01-2017 एकादशी (Ekadashi-11) सोमवार (Monday) अनुराधा (Anuradha) 1400 तक कलश चक्र अशुद्ध 02-02-2017d> षषष्टि (Shashthi-06) गुरुवार (thursday)/td> रेवती (Rawati) कलश चक्र अशुद्ध 06-02-2017d> ददशमी (Dashmi) सोमवार (Monday) रोहिणी (Rohini) 13-02-2017 तृतीया (Tritiya-03) सोमवार (Monday) पूर्वा फाल्गुनी (Purva Fal) 0900 से 1600 तक कलश चक्र अशुद्ध 15-02-2017d> पपंचमी (Panchmi-05) बुधवार (Wednesday)/td> हस्त (Hasta) 1140 से 2000 तक कलश चक्र अशुद्ध 16-02-2017td> पंचमी (Panchmi-05) गुरुवार (thursday) चित्रा (Chitra) कलश चक्र अशुद्ध 18-02-2017d> ससप्तमी (Saptmi-07) शनि (Saturday) विशाखा (Vishakha) के बाद कलश चक्र अशुद्ध 01-03-2017d> ततृतीया (Tritiya-03) बुधवार (Wednesday) ररेवती (Rewati) 15-20 तक कलश चक्र अशुद्ध
BY- Pt. Dayanand Shastri

अखिलेश यादव और मजबूत होकर उभरेंगे

त्वरित टिपण्णी--अखिलेश यादव की उपलब्ध जन्म कुंडली पर---

उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार उत्तरप्रदेश की स्थापना कुंडली 1
अप्रैल 1937 को धनु लग्न और वृश्चिक राशि की है। इस कुंडली में वर्तमान में
शनि की साढ़े- सती का तीव्र प्रभाव तथा राहु में गुरु की संवेदनशील दशा चलने से
साम्प्रदायिक हिंसा का योग बन रहा है। बाद में जनवरी 2017 में शनि धनु राशि
में पहुंच कर उत्तरप्रदेश की कुंडली के दशम भाव में गोचर कर रहे गुरु को
दृष्टि दे कर सत्ता परिवर्तन का योग बन देंगे।

अखिलेश यादव और मजबूत होकर उभरेंगे,लोकप्रियता बढ़ेगी 20 जनवरी 2017 के आसपास
लेंगे मजबूत और ठोस निर्णय जिसके इनके जीवन में बड़े और दूरगामी परिणाम होंगे
||उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश यादव की गूगल पर उपलब्ध
जन्म पत्रिका में भले ही उनकी कुंडली में ग्रह और नक्षत्र विपरीत चल रहे हैं
लेकिन इससे उन्हें कोई निजी नुकसान नहीं होगा बल्कि उनकी पार्टी को इससे फर्क
पड़ सकता है |

उपरोक्त (गूगल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) जन्मकुंडली उत्तरप्रदेश के यशस्वी
और खासकर युवा वर्ग में लोकप्रिय माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी की
है,वर्तमान समय में पारिवारिक कलह और राजनितिक उठा पटक के दौर से समाजवादी
पार्टी और यादव परिवार गुज़र रहा है,यदि एक दृष्टि अखिलेश यादव जी की
जन्मकुंडली पर डालें तो यह सब स्वतः ही समझ आ जायेगा||

उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश यादव की गूगल पर उपलब्ध जन्म
पत्रिका के अनुसर अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को वृश्चिक लग्न कर्क राशि
में हुआ। वृश्चिक राशि स्थिर राशि होकर लग्नस्थ भी है। मंगल पृथ्वी पुत्र है।
पराक्रम का प्रतीक है। यही वजह है कि अखिलेश ने जमीन से जुड़ कर शानदार सफलता
हासिल की। अखिलेश यादव की पत्रिका में विशेष बात यह है कि नवांश में बुध उच्च
का है और शुक्र नीच का, जो‍ कि नीच-भंग योग का निर्माण कर रहा है। शनि उच्च का
है, मंगल स्वराशि वृश्चिक का है। चन्द्र कर्क स्वराशि का है। 15 मार्च 2012 को
अखिलेश जी ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी || उस समय उनकी राहु
की महादशा में राहु की अन्तर्दशा और बुध का प्रत्यंतर चल रहा था ||जहां राहु
बुध का मित्र और उच्च स्तरीय राजनीती का कारक भी है वही बुध दशमेश और सप्तमेश
दो केंद्रों का स्वामी होकर एकादश भाव सूर्य के साथ बैठकर बुध आदित्य नामक
प्रबल राजयोग बनाकर उन्हें बड़े स्तर का शाशक बनाता है || वही गुरु लग्न में
लग्नेश और चतुर्थेश होकर अपनी ही राशि धनु में 10 डिग्री से ऊपर का होकर बैठकर
हंस नामक दिव्य पंचमहापुरुष योग बनाता है जिसके कारण अखिलेश जी को सदैव अपार
जन समर्थन और जनता का प्यार मिल रहा है और हमेशा मिलता रहेगा ||

ऐसे व्यक्तियों को जनता ह्रदय से प्रेम करती है उनके शत्रु और विरोधी भी उनका
सम्मान करते हैं , परन्तु गुरु के साथ जहा राहु चांडाल योग बना रहा है जिसके
कारण समय 2 पर उनके दामन पर दाग लगाने का षड्यंत्रकारी प्रयास करते रहेंगे वही
राहु का नीचभंग होकर लग्न में गुरु के साथ होना उन्हें और मजबूत और लोकप्रिय
बनाकर स्थापित करता रहेगा इसी कारण उस समय भी तमाम उठा पटक और बवंडर के बाद भी
अखिलेश जी को मुख्यमंत्री जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी दिलवा दी |

जिस चंद्रमा और बुध के स्थान परिवर्तन के कारण अखिलेश के राजयोग का निर्माण
हुआ था उसी चंद्रमा के अस्त होने के कारण जब भी उनके हाथ सत्ता की बागडोर आएगी
तो साथ में मानसिक उलझने भी साथ लाएगी ||

यदि वर्तमान परिस्थितियों पर दृष्टि डाले तो जहां शनि की अष्टम ढय्या 26 जनवरी
2017 तक चलेगी वहीँ वर्तमान में राहु महादशा में शनि की अन्तर्दशा में केतु की
प्रत्यंतर दशा चल रही है जो की 20 जनवरी 2017 तक चलेगी जिसके कारण पारिवारिक
मतभेद, राजनीतिक षड्यंत्र,मानसिक क्लेश आदि विशेष रूप से 20 जनवरी
2017(20/01/17) तक और आंशिक रूप से 27 जनवरी 2017तक बने रहेंगे,परन्तु फिर भी
शनि पराक्रमेश होकर छठे भाव में होने के कारण काल के सामान अखिलेश जी की रक्षा
करेंगे और उनके विरोधियो को ठिकाने लगा देंगे और अखिलेश यादव पुनः और सशक्त और
लोकप्रिय होकर सबको धता बताते हुए अपने को स्थापित करने में सफल होंगे |


शुभम भवतु...!!!

विशेष सावधानी---वर्तमान समय में यदि अखिलेश जी 11 रत्ती का गोमेद धारण करे तो
वह सभी पर हावी रहेंगे और सफल भी होंगे
=================================================================

फिल्म समीक्षा –फिल्म “डियर जिंदगी”

बैनर : होप प्रोडक्शन्स, धर्मा प्रोडक्शन्स, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट

निर्माता : गौरी खान, करण जौहर, गौरी शिंदे
सितारे : शाहरुख खान, आलिया भट्ट, कुणाल कपूर, अली जफर, अंगद बेदी, ईरा दुबे,
यशस्विनि दायमा
निर्देशक-लेखक-पटकथा : गौरी शिंदे
संगीत : अमित त्रिवेदी
गीत: कौसर मुनीर
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 29 मिनट 53 सेकंड
रेटिंग : 3/5
फिल्म की कहानी : कायरा उर्फ कोको (आलिया भट्ट) विदेश से सिनेमटॉग्रफी का कोर्स करने के बाद अब मुंबई में अपने फ्रेंडस के साथ रह रही हैं। कायरा का ड्रीम एक मेगा बजट मल्टिस्टारर फिल्म को विदेश में शूट करने का है, लेकिन इन दिनों वह अपनी टीम के साथ ऐड फिल्में करने के साथ डांस म्यूजिक ऐल्बम को शूट करने में लगी हैं। गोवा में कायरा की फैमिली रहती है, लेकिन कायरा को अपनीफैमिली के साथ वक्त गुजारना जरा भी पसंद नहीं है। कायरा की फैमिली में उसकी , पापा के अलावा छोटा भाई भी है, लेकिन बचपन की कुछ कड़वी यादों के चलतेकायरा ने अब अपनी फैमिली से कुछ इस कदर दूरियां बना ली है कि अब उसे उनके साथरहने की बात सुनते ही टेंशन होने लगती हैं। लवर्स को बतियाते-गुनगुनाते देख बिंदास कायरा भड़क उठती है। पत्थर तक मारने दौड़ती है। अपने फोन में उसने मां कानंबर ‘ड्यूटी’ नाम से फीड किया हुआ है। उसे बिखरी हुई चीजें पसंद है। घर के नाम से उसे सख्त चिढ़ है। उसके माता-पिता गोवा में रहते हैं, जहां वह कभी नहीं जाना चाहती। लेकिन जब एक दिन उसका दिल जोरों से टूटता है तो उसे गोवा जाना ही पड़ता है। कुछ दिन बाद फिल्म मेकर यजुवेंद्र सिंह (कुणाल कपूर) विदेश में एक
फिल्म को शूट करने का ऑफर जब कायरा को देता है तो कायरा को लगता है जैसे उसका ड्रीम अब पूरा होने वाला है। हालात ऐसे बनते हैं कि ऐसा हो नहीं पाता और कायराअब यजुवेंद्र से दूरियां बना लेती है। इसी बीच गोवा में कायरा के पापा उसेअपने एक दोस्त के न्यूली ओपन हुए होटल के ऐड शूट के लिए गोवा बुलाते हैं। यहांआकर कायरा एक दिन डॉक्टर जहांगीर खान (शाहरुख खान) से मिलती है। डॉक्टर जहांगीर खान शहर का जाना माना मनोचिकित्सक है। कायरा को लगता है कि उसे भीडॉक्टर जहांगीर खान के साथ कुछ सीटिंग करनी चाहिए, इन्हीं सीटिंग के दौरानजहांगीर खान कायरा को जिदंगी जीने का नया नजरिया तलाशने में उसकी मदद करते हैं। कुछ सीटिंग के बाद कायरा डॉक्टर जहांगीर खान उर्फ जग के बताए नजरिए से जब जिंदगी को नए सिरे से जीने की कोशिश करती है तो उसे लगता है सारी खुशियां तोउसके आस-पास ही बिखरी पड़ी हैं।

साल 2012 में आई ‘इंग्लिश विंगलिश’ के बाद निर्देशक गौरी शिंदे एक ऐसी लड़की की
कहानी बयां कर रही है, जिसकी जिंदगी रिश्तों की उलझनों में बस उलझ कर रह गई
है। ऊपर से तो सबको यही दिखता है कि कायरा एक प्रतिभाशाली कैमरा वुमेन है और
एक सफल सिनेमाटोग्राफर बनना चाहती है। लेकिन अंदर से वह कितनी घुटी हुई है
इसका अंदाजा किसी को भी नहीं है। हर समय उसके साथ रहने वाले उसके दोस्त जैकी
(यशस्विनि दायमा) और फैटी (ईरा दुबे) को भी नहीं। इसलिए जब कायरा अपने करियर
की खातिर सिड (अंगद बेदी) का दिल तोड़ती है तो किसी को पता नहीं चलता। लेकिन जब
रघुवेन्द्र (कुणाल कपूर) कायरा का दिल तोड़ता है तो इसका दर्द सभी को होता है।
फैटी को भी, जो रघुवेन्द्र की सच्चाई कायरा को बताती है।

अपना दर्द समेटे कायरा कुछ समय के लिए जैकी के साथ अपने माता-पिता के पास गोवा
चली जाती है। उसे वहां भी चैन नहीं मिलता। रातों को नींद नहीं आती। पेरेन्ट्स
और रिश्तेदारों से उसकी वैसे ही नहीं बनती। ना वो उसे समझते हैं और ना वह
उन्हें, इसलिए वह जैकी के साथ रहने लगती है और एक दिन कायरा की मुलाकात डीडी
यानी दिमाग के डॉक्टर जहांगीर खान उर्फ जग (शाहरुख खान) से होती है।

कायरा, जग से पहली ही नजर में काफी प्रभावित होती है। अपनी उलझने सुलझाने के
लिए वह उसके पास जाने लगती है। जग की बातों का उस पर काफी साकारात्मक प्रभाव
पड़ता है और धीरे-धीरे कायरा रिश्तों को समझने लगती है। तभी उसकी जिंदगी में
रूमी (अली जफर) आता है जो कि एक सिंगर है। कायरा को लगता है कि वह उसी के लिए
बना है, लेकिन वह उसे भी ज्यादा दिन झेल नहीं पाती।

इसी दौरान एक दिन वह किसी बात पर अपने पेरेन्ट्स और रिश्तेदारों पर फट पड़ती
है। जग को जब ये बात पता चलती है तो वह उसके अतीत के बारे में जानने की कोशिश
करता है और उसे पता चलता है कि कायरा का बचपन बड़ी मुश्किलों भर था, जिसकी वजह
से वह न केवल अपने माता-पिता से दूर रहना चाहती है, बल्कि हर रिश्ते से भी
अपना दामन छुड़ा लेना चाहती है। उसे हमेशा यही डर सताता रहता है कि कहीं कोई
उसे छोड़ कर न चला जाए, इसलिए वह हर रिश्ते को खुद से ही खत्म कर देती है।

इस फिल्म में कुछ लाजवाब सीन हैं। गोवा के समुद्र किनारे शाहरुख खान और आलिया
भट्ट का समुद्र की तेज गति के साथ किनारे और आती लहरों के साथ कबड्डी खेलने का
सीन यकीनन आपको जिदंगी को जीने की एक और वजह बताने का दम रखता है तो वहीं
इंटरवल के बाद कायरा यानी आलिया का जिदंगी को डरते-डरते अपने ही बनाए स्टाइल
में जीने की मजबूरी का क्लाइमेक्स भी गौरी ने प्रभावशाली ढंग से फिल्माया है।
मुबंई और गोवा की लोकेशन पर शूट गौरी की यह फिल्म हमें यह बताने में काफी हद
तक सफल कही जा सकती है कि जिन खुशियों को पाने के लिए हम हर रोज बेताहाशा बिना
किसी मंजिल के भागे जा रहे हैं और बेवजह टेंशन में रहने लगते हैं, अपनों से
दूरियां बनाने और अपनों पर चीखने चिल्लाने लगते हैं, उन खुशियों को तो खुद
हमने अपने से दूर किया है। गौरी की ‘डियर जिदंगी’ में आपको शायद इन सवालों का
जवाब मिल जाए।

इंटरवल तक समझ आ जाता है कि आखिर कायरा का मिजाज कैसा है। उसके आस-पास की
गतिविधियां कैसी हैं। कौन लोग हैं, जिन्हें वह पसंद करती है और किन्हें
नापसंद। इंटरवल तक जहांगीर खान जैसे एक नए किरदार की एंट्री से कहानी में एक
घुमाव की उम्मीद भी झलकती है, लेकिन ये उम्मीद बहुत देर तक उत्साह नहीं जगाती।
कायरा और जहांगीर के बीच कई सीन्स बेहद अच्छे हैं। पल पल मजा भी आता है, लेकिन
इन दोनों की कैमिस्ट्री बहुत अच्छी होने के बावजूद बहुत दूर तक नहीं जाती और
पुख्ता अहसास भी नहीं जगा पाती। ये फिल्म कहीं-कहीं अच्छी लगती है तो बस आलिया
के अभिनय की वजह से।

ऐक्टिंग :– इसी साल आई ‘उड़ता पंजाब’ और ‘कपूर एंड संस’ के बाद इस फिल्म में
आलिया का सबसे दमदार अभिनय देखने को मिलता है। वह भावुक दृश्यों में बेहद
स्वभाविक लगती हैं। उनकी परिवक्वता इसी झलकती है कि वह एक क्षण में बदलने और
पलटने सरीखे भावों को अच्छे से निभा लेती हैं। और यही वजह है कि जब कायरा अपने
सपनों के फलक के इर्द-गिर्द होती है तो मन को भाती भी है, इसलिए ये फिल्म
आलिया के बेहतरीन अभिनय के लिए एक बार देखी जा सकती है। दूसरे छोर पर शाहरुख
खान ने केवल अपने हिस्से के संवाद बोलने का काम किया है। वो धीरे से
मुस्कुराते दिखते हैं। हल्की आवाज में बात करते दिखते हैं और इसी बातचीत के
दौरान वह कुछ अच्छे सीन्स दे जाते हैं। शाहरुख से कुछ साक्षात्कारों के दौरान
ये अहसास हुआ कि वह रील से परे रीयल जिंदगी में भी कुछ ऐसे ही बातें करते हैं
और यही अहसास उन्होंने परदे पर भी उकेरा है। उनकी आवाज और हाव-भाव से संजीदगी
झलकती है, लेकिन कुछ नया नहीं दे पाती।शाहरुख खान फिल्म का प्लस पॉइंट हैं
लेकिन उनके हाथ में ऐसा कुछ नहीं है कि वह फिल्म को दौड़ा ले जाएं. अली जफर
अच्छे लगते हैं, उनकी प्रेजेंस बहुत ही प्यारी लगती है. सिंगर का किरदार
उन्होंने अच्छा निभाया है |आलिया भट्ट अपनी पीढ़ी की समर्थ अभिनेत्री के तौर
पर उभर रही हैं। उन्‍हें एक और मौका मिला है। क्‍यारा के अवसाद,द्वंद्व और
महात्‍वाकांक्षा को उन्‍होंने दृश्‍यों के मुताबिक असरदार तरीके से पेश किया
है। लंबे संवाद बोलते समय उच्‍चारण की अस्‍पष्‍टता से वह एक-दो संवादों में
लटपटा गई हैं। नाटकीय और इमोशनल दृश्‍यों में बदसूरत दिखने से उन्‍हें डर नहीं
लगता। सहयोगी भूमिकाओं में इरा दूबे,यशस्विनी दायमा,कुणाल कपूप,अंगद बेदी और
क्‍यारा के मां-पिता और भाई बने कलाकारों ने बढि़या योगदान किया है।

बाकी कलाकारों का काम कायरा के किरदार की पेचीदगी के आगे ठीक से उभर ही नहीं
पाया है। दरअसल गौरी शिंदे ने इस पेचीदगी को पनपने का भरपूर मौका दिया है,
जिससे इस फिल्म में मनोरंजक तत्वों का घोर अभाव दिखता है। इस अभाव को भरने के
लिए संगीत काफी हद तक मददगार साबित होता है। लेकिन वह भी काम नहीं आया है।

निर्देशन :— गौरी शिंदे की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने स्क्रिप्ट के साथ
पूरा न्याय किया। गौरी की इस फिल्म में आपको उनकी पिछली फिल्म की तरह के
टिपिकल चालू मसाले, आइटम नंबर और मारामारी देखने को नहीं मिलेगी। गौरी ने
फिल्म के किरदारों को स्थापित करने में पूरी मेहनत की है तो वहीं कायरा के
किरदार को स्क्रीन पर जीवंत बनाने के लिए पूरा होमवर्क किया। हां, इंटरवल के
बाद कहानी की रफ्तार कुछ थम सी जाती है, डॉक्टर जहांगीर और कायरा के बीच
सीटिंग के कुछ सीन को अगर एडिट किया जाता तो फिल्म की रफ्तार धीमी नहीं होती।
‘इंग्लिश विंगलिश’ के मुकाबले ये थोड़ी कमजोर फिल्म है, जिसमें शिंदे ने एक
महिला के अस्तित्व और पहचान को मुद्दा बनाया था। उसका अंग्रेजी सीख लेना उसे
विजयी बना देता है, हीरो की तरह। उसके मुकाबले ‘डियर जिंदगी’ बुरी फिल्म नहीं
है, बल्कि कम अच्छी है। ‘उड़ता पंजाब’ में आलिया के किरदार की ही तरह ‘डियर
जिंदगी’ देख कर एक गीत की पंक्तियां याद आती हैं। ‘एक कुड़ी जेदा नाम मुहब्बत,
गुम है गुम है गुम है…’

संगीत :— अमित त्रिवेदी का मधुर संगीत आपके दिल और दिमाग पर जादू चलाने का
दम रखता है, टाइटल सॉन्ग लव यू जिंदगी, तारीफों से और तू ही है, गाने फिल्म की
रिलीज से पहले ही कई म्यूजिक चार्ट में टॉप फाइव में शामिल हो चुके हैं।

क्यों देखें :— अगर आप साफ-सुथरी फिल्मों के शौकीन हैं तो हमारी नजर से आपको
यह फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए। गौरी की यह फिल्म आपको ज़िंदगी को जीने का एक
नया तरीका सिखाने का दम रखती है। इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि फिल्म
देखते वक्त आप कहीं न कहीं खुद को कहानी या किसी किरदार के साथ रिलेट
करेंगे।’डियर जिंदगी’ जिंदगी के प्रति सकारात्मक और आशावादी होने की बात कहती
है।

PT. DAYANAND SHASTRI,

आपकी शादी में अवरोध/बाधा के ये वास्तुदोष हो सकते हैं कारण–

वास्तुशास्‍त्र एक व‌िज्ञान है जो द‌िशा एवं आपके आस-पास मौजूद चीजों से उत्पन्न उर्जा के प्रभाव को बताता है।हमारे जीवन में वास्तु का महत्वबहुत ही आवश्यक है। इस विषय में ज्ञान अतिआवश्यक है।  वास्तुशास्त्र पूर्णत: वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है,अत: वास्तु दोष का प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है। वास्तु दोष रहित भवन में मनुष्य को शांति प्राप्त होती है। वास्तु दोष होने पर उस गृह में निवास करने वाले सदस्य किसी न किसी रूप में कष्ट स्वरूप जीवन व्यतीत करते हैं।

वास्तु दोष से व्यक्ति के जीवन में बहुत ही संकट आते हैं। ये समस्याएँ घर की सुख-शांति पर प्रभाव डालती हैं। यदि वास्तु को ध्यान में रखकर घर का निर्माण किया जाए तो वास्तुदोषों के दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। वर्तमान के बदलते दौर में वास्तु का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। आजकल कई बड़े-बड़े बिल्डर व इंटीरियर डेकोरेटर भी घर बनाते व सजाते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखते हैं। दी में देरी होना पैरेंट्ंस के लिए चिंता का सबब हो सकता है। आपके घर में कुछ वास्तु दोष की वजह से भी शादी विवाह में देरी हो सकती है।

यदि आपके घर में वास्तु व‌िज्ञान के अनुसार उर्जा अगर अनुकूल है तो आपकी प्रगत‌ि होगी और प्रत‌िकूल उर्जा होने पर परेशानी आती है और यह जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है चाहे वह आपका वैवाह‌िक संबंध हों या फिर व‌िवाह की चाहत।

 आपके विवाह में देरी के येवास्तुदोष हो सकते हैं कारण–

—वास्तु व‌िज्ञान के अनुसार व‌िवाह योग्य कुंवारे लड़कों को दक्ष‌िण और
दक्ष‌िण पश्च‌िम द‌िशा में नहीं सोना चाह‌िए। इससे व‌िवाह में बाधा आती है।
माना जाता है क‌ि इससे अच्छे र‌‌िश्ते नहीं आते हैं।
—- किसी भी भवन में पानी का निकास उत्तर- पूर्व की ओर होना वस्तु शास्त्र सम्मत है परन्तु वायव्य कोण में भवन के पानी का निकास होना भी वास्तु दोष है। उपरोक्त दोषों के कारण भवन में वास्तु दोष होता है। वास्तु दोष के फलस्वरूप संतान संबंधी कष्ट, पीड़ा और संतानहीनता का कष्ट देखना पड़ता है।
—काले रंग के कपड़े और दूसरी चीजों का इस्तेमाल कम करना चाह‌िए।
—वास्तु के मुताबिक जिन लड़कों की शादी में देरी हो रही है तो उनका बेडरुम साउथ-ईस्ट दिशा से हटा देना चाहिए।
—  यदि किसी भवन में उत्तर-पश्चिम वायव्य कोण में रसोई हो तो वास्तु दोष होता है। इस दोष के कारण परिवार में संतान पक्ष से, कष्टों एवं दुखों का सामना करना पड़ता है।
—- शादी में देरी वाले को अपना ब‌िस्तर इस तरह रखना चाह‌िए ताक‌ि सोते समय
पैर उत्तर और स‌िर दक्ष‌िण द‌िशा में हो। सोने के इस न‌ियम की अनदेखी से बचना
चाह‌िए।
—- आपके घर के ज‌िन कमरों में एक से अध‌िक दरवाजे हों उस कमरे में व‌िवाह
योग्य लड़कों को सोना चाह‌िए। ज‌िन कमरों में हवा और रोशनी का प्रवेश कम हो उन
कमरों में नहीं सोना चाह‌िए।
—आपके कमरों का रंग डार्क यानी गहरा नहीं होना चाह‌िए। दीवारों का रंग
चमकीला, पीला, गुलाबी होना शुभ होता है।
—— वास्तु शास्त्र के अनुसार विवाह योग्य युवक-युवती जिस पलंग पर सोते हैं, उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या व्यर्थ का सामान नहीं रखना चाहिए। ऐसा होने से उनके विवाह योग में बाधा उत्पन्न होती है।
—-ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जन्म लग्र कुंडली में पंचम भाव संतान की स्थिति का विवरण देता है। इसका विस्तृत अर्थ यह हुआ कि यदि किसी भवन में वास्तु का वायव्य कोण दूषित है तो उस गृह स्वामी की जन्म लग्र कुंडली में भी पंचम एवं षष्ठम भाव भी दूषित व दोषयुक्त होंगे अथवा जिस जातक की जन्म कुंडली में ये
दोनों भाव दूषित होंगे वह अवश्य ही वायव्य दोष अर्थात् वास्तु दोष से भी पीड़ित होगा।
—-ऐसी जगह पर नहीं सोएं जहां बीम लटका हुआ द‌िखाई दे।
—  वायव्य कोण उत्तर और पश्चिम के संयोग से निर्मित होने वाला कोण या स्थान है। हमारे शास्त्रों के अनुसार यहां चंद्रमा का आधिपत्य होता है। इसके दूषित होने से संतान कष्ट होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जन्म लग्र कुंडली के पंचम भाव एवं षष्ट भाव में दोष होने से वायव्य कोण में दोष पैदा होता है क्योंकि जन्म कुंडली में पंचम भाव एवं षष्ठम भाव इसके कारक भाव हैं।
—- यदि कोई और भी आपके साथ कमरे में रहता है तो अपना ब‌िछावन दरवाजे के नजदीक रखें।
—यदि भवन में वायव्य कोण उत्तर-पूर्व के ईशान कोण से नीचा हो तो भवन में वास्तु दोष होता है। इस दोष के कारण संतान के विवाह में बाधा उत्पन्न होती है।
—- विवाह में देरी हो रही है तो इस बात का ध्यान रखें कि घर में अंडरग्राउंड वाटर टैंक साउथ-वेस्ट कॉर्नर में न रखें। वास्तु के मुताबिक घर की साउथ-वेस्ट दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक होने से शादी में देरी हो सकती है।
—– यदि कोई विवाह योग्य युवक-युवती विवाह के लिए तैयार न हो, तो उसके कक्ष की उत्तर दिशा की ओर क्रिस्टल बॉल कांच की प्लेट अथवा प्याली में रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से वह विवाह के लिए मान जाता है।
—- यदि विवाह प्रस्ताव में व्यवधान आ रहे हों तो विवाह वार्ता के लिए घर आए अतिथियों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख घर में अंदर की ओर हो और उन्हें घर का दरवाजा दिखाई न दे। ऐसा करने से बात पक्की होने की संभावना बढ़ जाती है।
—- किसी भी घर के मध्य में  सीढियां होना भी विवाह में देरी का एक कारण है। इसलिए वास्तु के मुताबिक घर का मध्य हमेशा खाली रखना चाहिए।
PT. DAYANAND SHASTRI

क्या आपकी जन्म कुंडली मे है पत्रकार बनने का योग :

हर व्यक्ति मे अलग-अलग क्षमता होती है। लेकिन स्वयं यह तय करना कठिन होता है कि हममे क्या क्षमता है इसलिये कभी कभी गलत निर्णय लेने से असफलता हाथ लगती है, परन्तु ज्योतिष एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा उचित व्यवसाय/क्षेत्र चुनने मे मार्गदर्शन लिया जा सकता है। आजकल हाईस्कूल करने के बाद एक दुविधा यह रहती है कि कौन से विषय चुने जाएं जिससे डॉक्टर या इन्जीनियर का व्यवसाय चुनने मे सहायता मिल सके। इसके लिये कुन्डली के ज्योतिषीय योग हमारी सहायता कर सकते है। ज्योतिष को चिरकाल से सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है । वेद शब्द की उत्पति “विद” धातु से हुई है जिसका अर्थ जानना या ज्ञान है। ज्योतिष शास्त्रतारा जीवात्मा के ज्ञान के साथ ही परम आस्था का ज्ञान भी सहज प्राप्त हो सकता है। ज्‍योतिष शास्‍त्र मात्र श्रद्धा और विश्‍वास का विषय नहीं है, यह एक शिक्षा का विषय है।
पाणिनीय-शिक्षा41 के अनुसर”ज्योतिषामयनंयक्षुरू”ज्योतिष शास्त्र ही सनातन वेद का नैत्रा है। इस वाक्य से प्रेरित होकर ” प्रभु-कृपा ”भगवत-प्राप्ति भी ज्योतिष के योगो द्वारा ही प्राप्त होती है।
आज कल कई लोग मीडिया जगत मे जाने के लिए काफी लोगउत्सुक रहते है लेकिन उनको अपना फ्यूचर पता नहीं चल पाता। आइये जानते है की है मीडिया मे (पत्रकारिता मे )जाने के लिए आपका कोनसा गृह सबसे सबसे ज्यादा मजबूत  होना चाहिए। ग्रहो का विभिन्न राशियों मे स्थित होना भी व्यवसायका चयन करने मे मदद करता है। यदि चर राशियों मे अधिक ग्रह हो तो जातक को चतुराई, युक्ति निपुणता से सम्बधित व्यवसाय मे सफलता मिलती है। यह ऐसा व्यवसाय करता है जिसमे निरंतर घूमना पड़ता है। यदि किसी जातक की कुंडली मे  चन्द्र , और बुध की युति हो तो ऐसा जातक कवि, पत्रकार लेखक बनता है।
कुंडली मे पत्रकार बनने के लिए बुध दशम भाव व शुक्र का अध्ययन करना चाहिए। पत्रकार अच्छा व्यवहार विश्लेषक वकता होता है वाणी प्रभावशाली होती है। जब कुंडली मे द्वितीय भाव मे बुध उच्च राशि मे हो व चतुर्थ भाव मे चनद्र हो हो तब जातक अच्छा पत्रकार बनता है चतुर्थ भाव जनता का है।द्वितीय भाव वाणी का है दशम भाव कार्य वयवसाय का भाव है। बुध लेखनी दशम भाव लोगों की नज़र का भी भाव है। तृतीय भाव लोगों की बोलती बंद करने का भी भाव है। तृतीय भाव मे जब गुरु शुक्र का सम्बन्ध हो द्वादश भाव मे केतु हो ऐसे मे जातक जबरदस्त प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला पत्रकार होता है। व सभी की वकताआो की बोलती बनद करदेता है बुध चनद्र चतुर्थ भाव मे हो दशम मे उच्च गुरु हो शनि का सम्बन्ध शुक्र से सम्बन्ध लगन मे हो ऐसे मे प्रिंट मीडिया कि तरफ़ ध्यान आकर्षित करने वाला श्रेष्ठ ईमानदार पत्रकार होता है। अनुभव मे आया है कि मिथुन, कन्या, वृषभ, तुला, मकर और मीन लग्न के लोग लेखन कार्य मे अवश्य हो सकते है। ज्यादातर बड़े लेखक इन्ही लग्नो मे जन्मे है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमेश यदि नवम् भाव मे हो तो एक सफल लेखक बनने के लिए यह एक उत्तम ग्रहयोग है। जन्मकुंडली मे यदि सरस्वती योग योग बन जाए तो आप उच्चकोटि के लेखक हो सकते है। सरस्वती योग, शारदा योग, कलानिधि योग एक ही होते है। इनके नाम अलग अलग है जब कुंडली मे केन्द्र, त्रिकोण और द्वितीय भाव मे एक साथ या अलग-अलग बुध , शुक्र और गुरु ग्रह बैठते है तो यह महान योग होता है। इस प्रकार के व्यवसायों मे वांछित योग्यता के लिए तृतीय भाव, बुध तथा लेखन के देवता गुरु की युति श्रेष्ठ परिणाम देती है। लेखन कार्य मे कल्पनाशक्ति की आवश्यकता रहती है। इसलिए कल्पनाकारक चंद्रमा की शुभ स्थिति भी वांछित है। जुझारू पत्रकारिता के युग मे मंगल, बुध, गुरु के बल व किसी शुभ भाव मे युति के फलस्वरूप पत्रकारिता व संपादन कार्य मे सफलता मिलती है। लेखन कार्य के तृतीय भाव के बल की भी जांच करनी होगी।
बुध दशम भाव मे गुरु के साथ हो द्वितीय भाव मे चनद्र हो पंचम मे उच्च शनि से राहु द्रष्ट हो ऐसे मे जातक समाचार पत्रों का संपादन या प्रकाशन का कार्य करता है। तृतीय भाव मे केतु बुध हो द्वितीय भाव मे सूर्य हो दशम मे उच्च का शनि हो ऐसे मे जातक समाचार चैनलों मे मुख्य पत्रकारिता का कैरियर जातक प्राप्त करता है। शुक्र बुध चतुर्थ भाव मे हो दशम मे मंगल के साथ राहु हो द्वितीय भाव मे सूर्य की दृष्टि हो ऐसे मे जातक प्रसिद्ध समाचार पत्र का प्रकाशन करता है। बुध दशम भाव मे निच राशि मे हो शनि द्वादश भाव मे हो तृतीय भाव मे केतु के साथ गुरु हो ऐसे मे जातक खोदकर खबर प्रकाशित करने वाला पत्रकार होता है गुरु केतु का सम्बन्ध जातक ऊँचाईयो पर लेजाने वाला होता है। राहु अष्टम भाव मे हो गुरु केतु बुध की राशि मे द्वितीय भाव मे हो बुध दशम भाव मे चनद्र के साथ हो ऐसे जातक प्रसिद्ध परिवार सहित पत्रकारिता के श्रेत्र मे अग्रणीय पत्रकार होता है गुरु बुध केतु तृतीय भाव मे हो दशम मे उच्च का शुक्र हो लगन मे सूर्य हो ऐसे मे देश का सबसे प्रसिद्ध पत्रकार होता है।
हमारे सदीक शास्त्रो मे गजकेसरी योग के निम्नफल बताए गए है : 
गजकेसरीसंजातस्तेजस्वी धनधान्य।
मेधावी गुणसम्पन्नो राज्यप्राप्तिकरो भवेत्।।
अर्थात गजकेसरी योग मे उत्पन्न जातक तेजस्वी, धनधान्य से युक्त, मेधावी,गुणी और राजप्रिय होता है। शाश्त्र अनुसार सरस्वती योग- जब कुंडली मे बुध,गुरु,शुक्र एक साथ याअलग-अलग केन्द्र त्रिकोण या द्वितीय भाव मे बैठते है तो सरस्वती योग बनता है।
शास्त्र कहता है-
धीमान नाटकगद्यपद्यगणना-अलंकार शास्त्रेयष्वयं।
निष्णात: कविताप्रबंधनरचनाशास्त्राय पारंगत:।।
कीर्त्याकान्त जगत त्रयोऽतिधनिको दारात्मजैविन्त:।
स्यात सारस्वतयोगजो नृपवरै : संपूजितो भाग्यवान।।
अर्थात्- सरस्वती योग मे जन्मे जातक बुद्धिमान, गद्य, पद्य, नाटक, अलंकार शास्त्र मे कुशल ,काव्य आदि का रचैयता शास्त्रों के अर्थ मे पारंगत, जगत प्रसिद्ध, बहुधनी, राजाओं द्वारा भी सम्मानित एवं भाग्यवान होता है।
♦ संपादक (इलेक्ट्राॅनिक मीडिया): इस व्यवसाय के लिए मंगल, बुध व गुरु के अतिरिक्त शुक्र का महत्व अधिक है तथा भावों मे लग्न, द्वितीय व तृतीय तीनों का बली होना आवश्यक है।
♦ न्यूज रीडर: न्यूज रीडर के लिए द्वितीय भाव, लग्न, बुध व गुरु बली होने चाहिए क्योंकि न्यूज रीडर का कार्य एक जगह स्थिर होकर बोलना है इसलिए फोकस्ड और स्थिर होकर बैठने के लिए शनि का भी लग्न अथवा लग्नेश पर प्रभाव वांछित है।
♦ एंकर: सफल एंकर बनने के लिए शुक्र, बुध, चंद्रमा व गुरु का महत्व सर्वोपरि है।
♦ रेडियो जाॅकी: कुशल रेडियो जाॅकी बनने के लिए जातक का वाकपटु होना तथा तुरंत निर्णय लेकर धारा प्रवाह बोलना व अपनी वाणी मे हास्य, व्यंग्य व अभिव्यक्ति की योग्यता होना नितांत आवश्यक है जिसके लिए बुध, गुरु, चंद्र, वाणी का द्वितीय भाव तथा अभिव्यक्ति के तृतीय भाव के अतिरिक्त कारक राशियों जैसे मिथुन व कन्या का बली होना आवश्यक है। द्वितीयेश, लग्नेश व दशमेश की युति शुभ भाव मे हो तथा गुरु से दृष्ट हो तो भी कुशल रेडियो जाॅकी बने।
♦ ज्योतिष मे लेखन का मुख्य ग्रह बुध माना जाता है। साथ ही बुध वाणी ,बुद्धि, तर्क शक्ति का कारक भी होता है। अत: बुध का श्रेष्ठ होना अच्छा लेखक के लिए आवश्यक है। लेखन से सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण ग्रह चन्द्र और गुरु होते है क्योकि चन्द्र मन, भावुकता, संवेदना व कल्पना का कारक होता है और गुरु ज्ञान,कौशल,स्वस्थ मेधा शक्ति का कारक होता है इसलिए अच्छे लेखन के लिए इन ग्रह का सहयोग विशेष योग प्रदान करता है।
♦ बुध ग्रह जन्मकुंडली मे तीसरे भाव से जुड़ा होने से लेखन का विशेष योग बनता है क्योंकि बुध लेखन का और तीसरा भाव हाथ का भाव होने से अच्छा लेखन कार्य किया जाता है। तीसरे भाव से पत्रकारिता, संपादन का कार्य भी किया जाता है। इसके अलावा बुध ग्रह यदि शुभ स्थिति मे 1, 3, 4, 5, 7, 8, 9 भावो मे स्थित हो, तो जातक सफल लेखक बन सकता है  क्योंकि ये सभी भाव किसी न किसी रूप से शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, सफलता, व्यवसाय एवं भाग्य से संबंधित है। यदि बुध , गुरु, या शुक्र स्वग्रही या उच्च के हो तो लेखन के क्षेत्र मे अच्छे परिणाम आते है।
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♦ जानिए जन्म पत्री, नक्षत्र और राशियो के बारे मे जानकारियां :
जन्म कुंडली का रहस्य: मनुष्य के कार्यक्षेत्र मे ग्रह-नक्षरो की भूमिका :
सूर्य—सरकारी नौकरी, राजनीति, आंकड़ों से जुड़ा काम।
चंद्रमा—संगीत, कलाएं, रसायन क्षेत्र।
मंगल—तर्क विद्या से जुड़ा व्यवसाय, इंजीनियरिंग, जायदाद संबंधी विवाद।
बुध—एकाउंटेंसी, पत्रकारिता, ज्योतिष।
बृहस्पति—मानविकी, बैंकिंग, प्राणी विज्ञान, प्रबंधन।
शुक्र—ललित कलाएं, पर्यटन, एनिमेशन, ग्राफिक्स।
शनि—भूगर्भ विज्ञान, पुरातत्व विज्ञान, इंजीनियरिंग, श्रम कानून।
केतु—भाषा विज्ञान, कंप्यूटर, मौसम विज्ञान।
राहू—मनोविज्ञान, विश्लेषण संबंधी कार्य, अंतरिक्ष विज्ञान इंजीनियर, विमान चालक।
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♦ अष्टक वर्ग :
ग्रहो की गति बताने के लिए बिंदुओ का प्रयोग किया जाता है।
दशा: मनुष्य के जीवन अवधि या चरण।
कर्म: व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उपलब्धियों का कुल योग।
गोचर: ग्रहो की गति।
कर्म स्थान: जन्म कुंडली का दसवां घर, जो बताता है कि जातक का पेशा क्या होगा?
राशियां: राशि चक्र के 12 भाग, हरेक 30 डिग्री का, इस तरह सब मिलकर 360 डिग्री पूरा करती है। वे पश्चिमी ज्योतिष शास्त्र की राशियों के अनुरूप है।
साढ़े साती :जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति मे शनि का प्रवेश अशुभ माना जाता है।
by Pandit Dayanand Shastri.

जानिए रसोईघर मे सामान रखने के उपयुक्त स्थान :

♦ चूल्हा, स्टोव या गैस, रसोईघर मे इस प्रकार से रखा होना चाहिए कि जातक दरवाजे को देख सके. इससे मनुष्य तनावमुक्त होता है।
♦ रसोईघर मे माइक्रोवेव ओवन को दक्षिण- पश्चिम दिशा मे रखना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रसोईघर स्वत: ही सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है।
♦ रेफ्रिजरेटर एक इलेक्ट्रिक मशीन है, जिसे ऐसे स्थान या मंडल मे रखना चाहिए जो जातक के लिए विशेष प्रेरक के रूप मे हो।
♦ दक्षिण दिशा मे रेफ्रिजरेटर रखने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, क्योंकि दक्षिण दिशा का तत्व ‘अग्नि’ है। जिसके फलस्वरूप दक्षिण दिशा, रेफ्रिजरेटर के ठंडे तापमान से मेल नहीं खाता।
♦ रसोई घर मे यदि वास्तुदोष हो तो पंचररत्न को तांबे के कलश मे डालकर उसे ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने मे स्थापित करे।
♦ निर्माण के समय ध्यान रखे की रसोई घर आग्नेय कोण मे हो अगर पूर्व मे ही रसोईघर किसी और दिशा मे बना हो तो उसमे लाल रंग कर उसका दोष दूर किया जा सकता है।
♦ रसोई घर के स्टेंड पर काला पत्थर न लगवाए।
♦ रसोई घर मे माखन खाते हुए कृष्ण भगवान का चित्र लगाएं। इससे आपका घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहेगा।
♦ खाना बनाते समय गृहिणी की पीठ रसोई के दरवाजे की तरफ न हो, यदि ऐसा हो तो गृहिणी के सामने दीवार पर एक आईना लगाकर दोष दूर किया जा सकता है।
♦ यदि रसोई का सिंक उत्तर या ईशान मे न हो और उसे बदलना भी संभव न हो तो लकड़ी या बांस का पांच रोड वाला विण्ड चिम सिंक के ऊपर लगाएं।
♦ चूल्हा मुख्य द्वार से नहीं दिखना चाहिए। यदि ऐसा हो और चूल्हे का स्थान बदलना संभव नहीं हो तो पर्दा लगा सकते है।
♦ यदि घर मे तुलसी का पौधा न हो तो अवश्य लगाएं। कई रोगों व दोषों का निवारण अपने आप हो जाएगा।
by Pandit Dayanand Shastri.

क्या भारत पाकिस्तान मे होगा युद्ध ???

भारत-पाक के बीच जारी तनाव को लेकर सब के मन मे एक ही सवाल है- कल क्या होगा ? आइए, ज्योतिष की मदद से जाने इस सवाल का जवाब…
( यह भविष्यवाणी गूगल पर उपलब्ध आंकड़ों/कुंडली अनुसार गृह गोचर और चन्द्रमा की स्थित अनुसार की गयी है। ज्योतिषी इसकी सत्यता या प्रमाणिकता की पुष्टि करता है)
भारत और पाक के बीच इस समय हालात बेहद नाजुक बने हुए है। आतंकवादियो को भारत उनकी सही जगह भेज चुका है और इस बात से पाकिस्तान बेहद नाराज है। ऐसा हो भी क्यो ना क्योकि पाकिस्तान को आतंकवादियो के बड़े आकाओं को जवाब जो देना होता है। हर कोई जानता है कि इस समय युद्ध जैसे हालत भारत और पाकिस्तान के बीच बने हुए है। जहाँ एक तरफ इस समय राजनैतिक गलियारों मे गर्मी है तो वहीं दूसरी तरफ भारत के ग्रहो मे भी गर्मी बनी हुई है। जम्मू कश्मीर के उरी जिले मे जो भारत की सैनिक छावनी पर जो आतंकी हमला हुआ था उसने पुरे भारत देश को झकझोर के रख दिया है। पिछले ढाई दशक से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से त्रस्त जम्मू-कश्मीर राज्य मे यह सेना पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
वर्तमान मे स्थिति को ध्यान मे रखकर ग्रहो और ज्योतिष अनुसार जो स्थिति/ भविष्यवाणी सामने आई है वह हैरान करने वाली है। हमारे देश भारत जो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ,की कुंडली पर नजर डालें तो आने वाले दिनो मे परिस्थितियां और अधिक विकट होती दिख रही है। वृषभ लग्न की कुंडली मे चंद्रमा मे मंगल की विंशोत्तरी दशा 9 जुलाई 2016 से 7 फरवरी 2017 तक है। चंद्रमा भारत की कुंडली मे तीसरे भाव का स्वामी होकर पड़ोसियों से सीमा पर संघर्ष की स्थिति को दर्शाता है। मंगल भारत की कुंडली मे सप्तम भाव यानी युद्ध स्थान तथा हानि स्थान यानी बाहरवे घर का स्वामी होकर मारक स्थान मे बैठा हुआ है। जबकि गोचर मे शनि वृश्चिक राशि मे स्थित होकर भारत की कुंडली मे सप्तम भाव को प्रभावित कर रहे है।
स्वतंत्र भारत की जन्मकुंडली मे कर्क राशि होकर मूलभाव से सटाष्टक योग बना रहा है।
पाकिस्तान के कुटिल सैन्य तंत्र के कारण आतंकवादी तत्व महाविनाशकारी परमाणु अस्त्रो को प्राप्त कर सकते है, जिससे भारत के गुजरात प्रांत मे अहमदाबाद एवं राजकोट क्षेत्र विशेष प्रभावित होंगे। पाकिस्तान आयोजित आतंकवादी आक्रमण के कारण भारत-पाक संबंधों मे तनाव चरम सीमा पर होगा। भारत-पाकिस्तान व्यापार संधि खटाई मे पड़ सकती है। पाक का नापाक गणित: 2017 मे हो सकता है इसका परिणाम भारत-पाक युद्ध मे पाक को चीन का पूर्ण सहयोग होगा। चीन की बढ़ती ताकत के मद्देनजर पाकिस्तान मे भारत-चीन संबंध को अलग नजरिए से देखा जाने लगेगा। इसमे 2017 तक भारत- पाक युद्ध की आशंका है किन्तु बाद मे अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते चीन पीछे हटेगा और पाकिस्तान खत्म हो सकता है। इस समय मोदी सरकार की ज्योतिषीय कुंडली मे चंद्रमा की क्रूर नक्षत्र मे स्थिति पाकिस्तान या चीन के साथ करा सकती है युद्ध। जिस मुहूर्त मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शपथ व सरकार का गठन किया था, उस समय चन्द्रमा भरणी नक्षत्र मे गोचर कर रहा था | भरणी नक्षत्र उग्र स्वभाव वाला नक्षत्र है। यह अजीब संयोग है कि 16 मई 1996 को भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी ने शपथ ली थी उस समय भी चन्द्रमा भरणी नक्षत्र मे गोचर कर रहा था। उस समय वाजपेयी सरकार 13 दिन मे लड़खड़ाके गिर गई
चंद्रमा के भरणी नक्षत्र मे रविवार के दिन ही 21 फरवरी 1999 को वाजपेयी व नवाज की लाहौर घोषणा के कुछ महीने मे भारत -पाक मे कारगिल युद्ध हुआ। मोदी सरकार के शपथ के बाद चतुर्दशी रिक्ता तिथि व मंगलवार के दिन नवाज व मोदी के बीच हुई वार्ता के समय चंद्रमा भरणी नक्षत्र मे गोचरस्थ था परिणाम मे पाक की तरफ से लगातार गोलाबारी होती रही । 5,दिसम्बर 2014 को कश्मीर घाटी मे मोदी जी की २ चुनावी रैलीयो के पास आतंकी हमला हुआ। दो अन्य जगह भी पाक प्रशिक्षित आतंकियों ने भी हमला किया, जिसमे से एक उरी स्थित आर्मी कैम्प भी था उस समय  मोदी जी बस ट्विट पर निंदा कर गए। प्रधानमंत्री श्री मोदी के शपथ ग्रहण की तुला लग्न की कुंडली के अनुसार वर्तमान मे शुक्र की महादशा मे सूर्य का अंतर चल रहा है। लग्नेश व महादशानाथ शुक्र लग्न पर गोचर कर रहे है। कुंडली के लग्न पर राहू जैसा पाप ग्रह कमजोर गृह मंत्रालय की स्थिति दिखा रहा है। प्रजा की प्रतिनिधि ग्रह चंद्रमा की स्थिति भी केतु के पाप प्रभाव मे लग्नेश शुक के साथ सप्तम भाव मे हो रही है। लग्न यानी सरकार व चंद्रमा यानी प्रजा दोनों ही आतंकी व महंगाई की मार से झुलस रहे है। एकादशेश सूर्य अष्टम भाव मे अशुभ स्थिति मे है। सूर्य की इस अंतर दशा मे छुटपुट अथवा बड़े हमले मे देश को एक विशेष क्षति दर्शा रहा है। कुंडली मे चतुर्थ व पंचम भावेश शनि वक्री होकर लग्न मे होकर एक विशेष राज योग बना रहे है, जो शत्रु आक्रमण का भरपूर जवाब देने के लिए सक्षम है परन्तु गोचर मे प्रत्यंतर दशानाथ शनि वृश्चिक राशिस्थ होकर अंतर दशा नाथ सूर्य को पीड़ित कर रहे है।
कुंडली मे द्वितीय भावेश होकर मंगल व्यय स्थान मे है इसका अर्थ है कि सरकार की विभिन्न परियोजानाओं व सातवें भाव के कारण रक्षा बजट मे सरकारी खजाने से भारी राशि का व्यय होगा।भारत पडौसी राज्य के किसी भी आक्रमण से निपटने मे सक्षम है। तृतीयेश व षष्ठेश गुरु पडौसी राज्यों के साथ युद्ध व सीमा विवाद को कूटनीति से निपटाने मे सफल रहेगा । गुरु की शुभ दृष्टि कन्या राशि से छठे भाव पर है जो छठे का स्वामी भी है। इसलिए वर्तमान मे तो भारत को कोई बहुत बड़ा खतरा नहीं है।परन्तु अगले साल 2017 सितम्बर के माह मे शुक्र -चन्द्र -शनि मे पाकिस्तान या चीन के कब्जे वाले हिस्से से भारत की सुरक्षा पर आंच आने की संभावना है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार मार्च 2018 तक भारत हर प्रकार के आक्रमण मे विजय रहेगा। मोदी की शपथ की नवांश कुंडली के छठे व बारहवे भाव मे राहू-केतु, वक्री शनि व मंगल का दुष्प्रभाव है। जिससे विदेश से समर्थन मे कुछ मतभेद हो सकते है। 2018 मे देश की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा पर विशेष मंथन होगा| विरोधी दलों सत्ता पक्ष पर हावी होंगे| शपथ ग्रहण के समय मोदी जी कुंडली के छठे भाव मे चंदमा की स्थिति राहू केतु और वक्री शनि का प्रभाव सरकार के पूरे कार्यकाल की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। इस अवधि मे भारत मे दंगें-फसाद भी संभावित है
वैसे ज्योतिषीय आंकलन के अनुसार भीषण युद्ध के आसार इस वर्ष 10 अक्टूबर से 18 नवम्बर 2016 के बीच भारत पाकिस्तान के साथ भीषण युद्ध हो सकता है । 20 सितम्बर से 3 अक्टूबर 2016 के मध्य आतंकवादियों के साथ हमारी सेना की मुठभेड जारी रहेगी । 20 सितम्बर से 3 अक्टूबर 2016 के मध्य भारत पाकिस्तान पर शनि के सूक्ष्म अंतर मे कर सकता है । 3 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के मध्य भारत बडा हमला करेगा और सम्भव है पाकिस्तान को बडा भारी नुकसान हो । कुल मिलाकर देखा जाये तो 18 नवम्बर 2016 तक भारत निर्णायक भूमिका मे युद्ध का सामना करेगा। देश की प्रजा एकजुट होकर विश्व को अपनी ताकत का परिचय देगी। 14 अक्टूबर 2016 से 15 नवम्बर तक भारत अपनी ऐसी ताकत दिखा देगा जिसके कारण विश्व मध्यस्थता करने के लिए अग्रसर होगा।  भारत पर आतंकवादी हमले कुछ अक्टूबर तक होते रहेंगे। खासकर 3 अक्तूबर तक का समय ऐसा है जब भारत पर कुछ छोटे -बड़े आतंकवादी हमले हो सकते है। 
यदि यह भविष्यवाणी सही सिद्ध हुई तो उसके अनुसार 14 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच भारत इस तरह से अपनी ताकत का परिचम लहराएगा कि तब दूसरे कई देशों को सामने आकर भारत को शांत करेंगे। इसका अर्थ यही है कि भारत 15 नवम्बर तक इस तरह की लड़ाई लड़ेगा कि इस्लामाबाद मे भी भारत का झन्डा लहराता हुआ, नजर आये। अगले वर्ष 26जनवरी -2017 को शनि धनु मे प्रवेश करेगा, और ग्रहो की यह गति पाकिस्तान की नवाज़ शरीफ सरकार और पाकिस्तान के लिए एक अत्यंत कठिन और संघर्षपूर्ण समय की शुरुआत होगी
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♦ जानिए भारत की कुंडली :
हमारे देश भारत की जन्म कुंडली के अनुसार 15.08.1947 को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र मे था जिसके स्वामी शनि है। अगर भारत की कुंडली पर चर्चा करे तो भारत की कुंडली उसके स्वत्रंत्रता दिवस से बनाई जाती है। 
कुंडली विवरण – तिथि १५ अगस्त १९४७, 
समय रात्रि ००:००, 
स्थान दिल्ली | 
इससे वृषभ लग्न तथा कर्क राशि की कुंडली बनती है | 
बहुआयामी प्रतिभा के धनी, विचारक, भविष्य दृष्टा, युगपुरुष और सहज, विनम्र इंसान पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास ने भारत की कुंडली बनायीं थी । 1947 जब ये सुनिश्चित हो गया था कि अंग्रेज भारत छोड़ने को तैयार है तो डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने गोस्वामी गणेशदत्त महाराज के माध्यम से आपको बुलवाया। आपने पंचांग देखकर भारत की कुंडली बनाई और बताया कि आजादी के लिए मात्र दो दिन ही शुभ है 14 और 15 अगस्त। स्वतंत्रता के लिए मध्यरात्रि 12 बजे यानी तबके स्थिर लग्न का समय सुझाया । उनका मानना था कि इससे लोकतंत्र स्थिर रहेगा। इतना ही नहीं, पं. व्यास के कहने पर स्वतंत्रता के बाद देर रात संसद को धोया गया। बाद मे बताए मुहूर्त अनुसार गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि भी करवाई। उसी समय आपने ये संकेत दे दिए थे कि 1990 के बाद ही देश की प्रगति होगी और 2020 तक भारत विश्व का सिरमौर बन जाएगा । यह सब सच होता दिख भी रहा है।
यदि शास्त्रानुसार वृषभ लग्न की प्रकृति पर चर्चा करे तो हम पाते है की वृषभ लग्न का स्वाभाव बड़ा ही शर्मिला, शांति प्रिय, तमाम प्रकार के कष्ट सहने वाला, समझोता करने वाला, दबाव झेल कर भी कुछ ना बोलने वाला, मेहनती व संघर्षरत, पड़ोसियों द्वारा प्रताड़ित, सहज ही मित्र बनाने वाला, किसी के भी विश्वास मे आ जाने वाला, भोले स्वाभाव वाला, शोषित व चुप रह कर समाज को ढोने वाला होता है, और यही सब गुण भारत की प्रक्रति व स्वाभाव को दर्शाते है। इसी प्रकार शास्त्रानुसार कर्क राशी की प्रकृति पर चर्चा करे तो हम पाते है की यह एक कुटिल व सफल राजनितिक, बात का धनि , चतुर स्वाभाव वाला होता है।
भारत को आजादी शनि की महादशा मे प्राप्त हुई थी। वर्तमान समय मे सूर्य की महादशा मे शनि की अंतर्दशा 25.06.2013 तक रहेगी। यह समय भारत तथा अन्य देशों के लिए उथल-पुथल का रहेगा। शनि की महादशा भारत के लिए शुभ फलदायी रही। शनि की महादशा मे 1947 से 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध मे दोनों बार भारत को सफलता प्राप्त हुई। उस समय भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री थे। भारत देश की कुंडली का वृष लग्न है और योगकारक ग्रह शनि नवम्, दशम का स्वामी होकर तृतीय (पराक्रम भाव) मे विराजमान है। 1962 फरवरी मे चीन देश ने भारत पर आक्रमण किया तथा उसमे भारत की पराजय हुई। उस समय शनि की महादशा मे राहु की अंतर्दशा चल रही थी। भारत की कुंडली मे राहु लग्न तथा केतु सप्तम भाव मे कालसर्प दोष से ग्रसित होकर बैठे हुए हैं। युद्ध के समय गोचर की स्थिति के अनुसार 04.02.1962 तक मकर राशि मे आठ ग्रह राशि से सप्तम भाव मे बैठकर जन्म राशि को पूर्ण दृष्टि से देख रहे थे। मंगल का स्थान भारत की कुंडली मे दूसरे भाव मे है,और यह दूसरा भाव दिशाओं से भारत की उत्तरी-पश्चिमी दिशा को इंगित करता है। जिसके अन्दर काश्मीर आदि स्थान माने जाते है। मंगल का रूप हिंसक तभी माना जाता है जब यह अपने बद रूप मे हो,यह बुध के भावों मे बुध के साथ शनि के भावों मे और शनि के साथ तथा राहु केतु की युति मे और एक दूसरे के लिये सहयोगी युति के लिये अपना बद रूप लेकर उपस्थित होता है,बद मंगल के लिये लालकिताब का नियम बताता है कि यह भूत प्रेत और पिशाचात्मक शक्तियों से ग्रसित होता है। 
भारत की कुंडली वृष लगन की है और मंगल का स्थान मिथुन राशि का है,यह बुध की राशि है और मंगल के लिये बद का रूप प्रस्तुत करती है। लेकिन इस मंगल का प्रभाव तकनीक के लिये भी माना जा सकता है,मिथुन राशि से बोलने चालने पहिनने और अपने को प्रदर्शित करने के लिये भी माना जाता है,जब मंगल की युति इस राशि से मिल जाती है तो यह बोलने चालने अपने को प्रदर्शित करने के लिये हिंसक रूप मे सामने आता है बोलने के अन्दर खरा स्वभाव और उत्तेजना को देने वाला माना जाता है,यह अपने रूप के अनुसार बद होने के कारण खूनी खेल और खून से सने हुये रूप मे प्रदर्शित करने की मान्यता रखता है। चेहरे को कुरूप बनाने के लिये लाल कपडा पहिनने के लिये और हरी भरी धरती पर खूनी रंग फ़ैलाने के लिये भी अपनी मान्यता रखता है। मिथुन राशि का स्वामी बुध है,बुध की कारक बकरी को भी हिंसक रूप से देखता है,जो बकरी जैसे रूप को हिंसक देखता हो उसे भेडिया की उपाधि भी देना सही माना जा सकता है,यह अपनी द्रिष्टि के अनुसार पहले चौथे सातवें और आठवें भाव पर प्रभाव डालता है,लेकिन अन्दरूनी रूप मे पंचम नवम भाव से भी अपना सम्बन्ध रखता है,इस मंगल के बारे मे एक उक्ति बहुत ही मशहूर है कि यह कभी बीच का नही होता है,-“या तो सरासर सांग होजा या तो सरासर मोम हो जा”,सांग एक पत्थर होता है जो केवल टूटने मे ही विश्वास रखता है,मोम तो सभी को पता होता है कि जब पिघलता है तो पानी की तरफ़ बहने लगता है,लेकिन मिथुन राशि मे होने के कारण इसे दोहरे रूप मे देखा जा सकता है,लेकिन दोहरे स्वभाव के प्रति आशा नही की जा सकती है,मिथुन राशि बुध की राशि है और कमन्यूकेशन के प्रति अपना स्वभाव रखती है,मंगल के साथ हो जाने से यह कमन्यूकेशन के अन्दर तकनीक के लिये भी अपनी मान्यता को रखता है,बनाये जाने वाले कपडे और साजो सामान की तकनीक भी यह मंगल मिथुन राशि को देता है।
→ भारत की कुंडली वृष लग्न और कर्क राशि की है ।
→ भारत की कुंडली मे शनि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ग्रह है ।
→ ये भारत को मजबूती और शक्ति दोनों देता है ।
→ परंतु भारत की कुंडली मे मंगल बार-बार समस्याएं पैदा करता है ।
→ ये युद्ध की स्थितियां बनाता है और अस्थिरता लाता है ।
→ स्थिर लग्न होने की वजह से भारत हर समस्या से बच जाता है ।
♦ यह है पाकिस्तान की कुंडली :
पाकिस्तान का निर्माण दिनांक 14-08-1947 समय सुबह 9:30 बजे कराची मे हुआ था जिसमे भाग्य स्थान से पूर्ण कालसर्प योग भी है। इस आधार पर पाकिस्तान की कुंडली कन्या लगन तथा मिथुन राशी की बनती है, लगन कुंडली के अनुसार नौवें घर मे बैठा हुआ राहु पाकिस्तान की मानवता विरोधी ताकत तथा हिंसात्मक रवैये को दर्शाता है। साढे़साती का प्रभाव शुरू हो गया है। वह परमाणु हमला कर सकता है। – भारत व पाकिस्तान के मध्य युद्ध होगा। भारत को अन्य देशों का समर्थन मिलेगा। उसके प्रभाव मे कमी नहीं आएगी। पाकिस्तान संपूर्ण विश्व की दृष्टि मे गिर जाएगा। – भारत की जनता मे असंतोष बढे़गा। आर्थिक रूप से भारत कमजोर होगा। – भारत मे और भी आतंकी हमले होंगे। दूसरी तरफ दसवें घर मे अष्टमेश मंगल का एकादशेश चंद्रमा के साथ युति पाक सरकार की शान्ति विरोधी नीति व भारत के प्रति प्रतिशोध तथा कानून व्यवस्था को प्रकट करता है, लग्नेश बुध का सूर्य और शुक्र के साथ एकादश भावः मे युति बनाना मानव विरोधी ताकत के प्रति शक्ति का प्रयोग तथा उसमे अन्य राष्ट्रों का सहयोग भी दर्शाता है। इसलिए ज्योतिष आधार पर कुंडली विवेचन से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पाकिस्तान मानव विरोधी जिन ताकतों का भारत के साथ प्रयोग करता आ रहा है उसमे उसे पड़ोसी देशों से लाभ हो सकता है। 
पाकिस्तान की कुंडली मे चौथे घर मे सूर्य, शनि, शुक्र, बुध व चंद्रमा 5 ग्रहो का जमावड़ा होने के कारण पाकिस्तान न खुद शांत रहेगा और न ही पड़ोसी को शांत रहने देगा। पाक कुंडली मे कुलीक नामक कालसर्प योग अधिक पीड़ादायक होने से उसे जीवन भर संघर्ष, धन की हानि होगी तथा वह भारत के लिए सिरदर्द बना रहेगा। चीन की कुंडली मे मकर लग्र तथा सप्तम स्थान मे नीच का मंगल होने के कारण अपनी षड्यंत्रकारी कुचालो से भारत को नुक्सान व आक्रमण की तैयारी मे लगा रहेगा तथा अंत मे निर्णायक जंग करके ही दम लेगा। 
भारत और पाक की प्रचलित नाम राशि क्रमश: धनु और कन्या है। धनु-कन्या राशि के स्वामी क्रमश: देव गुरू-बृहस्पति और असुर-कुमार बुध हैं। वहीं बुध और बृहस्पति मे परस्पर शत्रुता बना रहता है। देवगुरू बृहस्पति क्षमावान, ज्ञानवान, अहिंसावादी और सात्विक ग्रह है, जबकि इसके विपरीत बुध बेहद चालक-अवसरवादी-बेईमान एवं समयानुसार बदलाव की प्रकृति के मालिक हैं |
→ पाकिस्तान का लग्न और राशि दोनों मिथुन है ।
→ ये दुविधा और अस्थिरता का संयोग है ।
→  इसके कारण पाकिस्तान मे विभाजन होते जा रहे है ।
→  मंगल भी मिथुन राशि मे  बैठकर पाकिस्तान के लिए समस्या पैदा कर रहा है ।
→ पाकिस्तान की समस्या उसके देश के विभाजन और आंतरिक समस्या है।
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♦ वर्तमान मे भारत-पाक के रिश्तों की स्थिति :
→ मंगल अग्नि की राशि मे है ।
→ राहु भी शनि के समर्थन से अग्नि राशि मे विद्यमान है ।
→  इन स्थितियो को युद्ध और आतंक की स्थिति कहा जाएगा ।
→ अभी शनि वृश्चिक राशि मे है ।
→  यहां से षड़यंत्र, युद्ध और तनाव जैसी स्थितियां बनी रहेंगी और बार-बार युद्ध होने जैसा भ्रम पैदा होगा ।
→  कुल मिलाकर जनवरी तक स्थितियां अच्छी नही है, इसके बाद ही सुधार होने की संभावना बनती है ।
→ बृहस्पति के प्रभाव से भारत का लग्न मजबूत है।
→ इसलिए भारत सुरक्षित स्थिति मे है ।
→ मंगल शुरुआत मे थोड़ी समस्याएं दे सकता है ।
→ लेकिन शनि के कारण भारत युद्ध मे सफलता पाएगा ।
→छद्म युद्ध जैसी स्थितियां बनेंगी जिसमे भारत सफल रहेगा।
→ कुल मिलाकर सीधे युद्ध की प्रबल संभावना दिखाई देती है।
by Pandit Dayanad Shastri.

आइये जाने उन कारण को जिनके कारण होती है आर्थिक परेशानी :

अक्सर मेरे पास कई जातको की समस्याएं आती रहती है जिनमे अक्सर धन समस्या भी होती है, जब उनकी जन्म पत्रिका का अवलोकन किया जाता है, तब जितनी समस्या उस जातक को जीवन मे आ रही होती उतनी उस कुंडली मे दिखाई नही पढ़ती । फिर क्या कारण होता है जो वो परेशान हो रहा है ? उसके हर कार्य मे विघ्न और धन प्राप्ति मे रुकावट आ रही है। आप या हम जिस घर मे रहते है वँहा वास्तु अनुसार कुछ नकारात्मक वायु रहती है, जो सकारात्मक वायु के प्रवेश को रोक देती है। जानिए वो कारण जिनसे वास्तु दूषित होकर धन वृद्धि को रोक देता है।
♦ पानी का टपकना :
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अगर आपके घर के किसी भी नल्के या फिर टंकी मे से पानी टपकता है तो इसका आश्य है कि आपके घर से धन का अत्याधिक व्यय हो रहा है। इन्हे हमेशा बंद रखे और टंकियो मे से पानी का टपना ठीक करवाएं। धर्म शास्त्रो मे जल को देव कहा गया है, जब कोई बिना कारण जल का अपव्यय करता है तो उसके घर धन नही रुक पाता, वैसे एक बात और बताता हूँ आप जब भी जल पीये उतना ही ग्लास मे ले जितने की आवश्यकता हो, यदि जल गिलास मे बच जाए तो उसे बहा दीजिये, उसे फेंके नही।
 ♦ पेड़ो पर सुखी पत्तियां :
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अगर आपके घर मे लगे पौधो पर सूखी पत्तियां नजर आने लगी है तो उनकी कटाई करने मे समय ना लगाएं। घर मे लगे पौधों को हमेशा हरा-भरा रखें।घर मै पेड़ो पर सुखी पत्ती रहने से बुध ग्रह खराब होता है और कर्ज की स्थिति बनती है।
♦ पूजा और सजावट के फूल :
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घर की सजावट के लिए कभी सूखे फूलो का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगर आपको फूल पसंद है तो हमेशा प्राकृतिक खुशबूदार फूलों को ही घर मे रखे। जब पूजा की माला सुख जाए तो उसे घर से बाहर कर देना चाहिये।
♦ बिजली का सामान :
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अगर बिजली का कोई सामान कार्यरत नहीं है या खराब है तो उसे जल्द से जल्द ठीक करवाएं या घर से बाहर कर दे। घर मे अक्सर बिजली के पुराने तार या सामान बेवजह बरसो से पढ़े रहते है, जिससे राहू ग्रह प्रबल हो जाता है ,और घर की नकारात्मकता बढ़ जाती है।
♦ बिल्ली का प्रवेश :
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जिस घर मै बिल्ली का प्रवेश अक्सर होने लगता है, अथवा जिस घर पर आकर बिल्ली रोती है या उनमे झगड़ा होता है, उस घर मै परेशानी के साथ धन का आवागमन रुक जाता है।
♦  छत की सफाई :
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अकसर घरो मे छत का उपयोग बेकार पड़े सामान को रखने के लिए किया जाता है। लेकिन ऐसा करना धन के आगमन के लिए बाधक साबित होता है। छत हमेशा साफ रखने का प्रयत्न करना चाहिए। कई लोग घर पर ईशान कोण मै अटाला रखते है जो धन के आवागमन को रोक देता है ।
♦ दीवारो पर निशान :
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घर के बच्चे कई बार घर की दीवारो पर पेन या पेंसिल से कुछ निशान बना देते है अगर आपके घर की दीवारो पर निशान पड़ गए है, उनकी पपड़ी उतरने लगी है तो जल्द से जल्द उसे ठीक करवाएं। यह दुर्भाग्य और निर्धनता को आकर्षित करते है।
♦ घर मे चमगादड़ का प्रवेश :
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चमगादड़ का दिखना बहुत अशुभ माना जाता है। अगर घर मे यह प्रवेश कर जाए तो यह दुर्भाग्य, निर्धनता के साथ-साथ बुरे स्वास्थ्य का भी परिचायक है।
♦ टूटा हुआ शीशा :
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घर मे टूटा हुआ शीशा ना सिर्फ वास्तु के नियमो के विरुद्ध है बल्कि ये पूरे प्रभाव के साथ नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश करने के लिए रास्ता भी देता है। यदि खिड़कियो के कांच भी टूटे हो तो तुरन्त बदले ।
♦ मकड़ी का जाला :
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घर मे मकड़ी का जाल बुनना दुर्भाग्य की निशानी है। इसे जल्द से जल्द हटवाएं और आगे से ऐसा ना हो इसके लिए घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखे। कई घरो मे मकड़ी घर के मन्दिर और भगवान की फोटो और मूर्ति पर भी अपना जाला बना लेती है, जो सबसे ज्यादा खराब होता है।
♦ कबूतर का घोंसला घर मे होना :
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वास्तुशास्त्र के अनुसार घर मे कबूतर का घोंसला अस्थिरता के हालात पैदा करता है और साथ ही निर्धनता को भी आमंत्रण देता है। अगर आपके घर मे ऐसा कुछ है तो जल्द से जल्द इसे हटाने का प्रयास करे।
♦ यंत्रो पर धूल का जम जाना :
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हम अक्सर घर मे श्री यन्त्र, वास्तु यन्त्र , आदि यन्त्र रखते है, लेकिन अभी आप मन्दिर मे जाकर देखिये की वो यन्त्र कितने गन्दे और काले पढ़ गए है, जब से आप घर लाये एक बार भी उन्हें साफ़ नही किया, उनसे प्राप्त होने वाली ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
♦ मधुमक्खी का छत्ता घर पर लगना :
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शहद की मक्खी का डंक तो वैसे ही खतरनाक होता है, लेकिन घर मे इसका बनाया हुआ घोंसला नकारात्मक परिणाम देता है। घर के भीतर इसकी मौजूदगी एक अशुभ संकेत है।
by Pandit Dayanad Shastri.