जेसा की आप सभी जानते हे की वर्तमान समय मे सुविधा जुटाना आसान है। परंतु शांति इतनी सहजता से नहीं प्राप्त होती। हमारे घर मे सभी सुख-सुविधा का सामान है, परंतु शांति पाने के लिए हम तरस जाते है। वास्तु शास्त्र द्वारा घर मे कुछ मामूली बदलाव कर आप घर एवं बाहर शांति का अनुभव कर सकते है।
♦ घर मे कोई रोगी हो तो एक कटोरी मे केसर घोलकर उसके कमरे मे रखे दे। वह जल्दी स्वस्थ हो जाएगा।
♦ घर मे ऐसी व्यवस्था करे कि वातावरण सुगंधित रहे। सुगंधित वातावरण से मन प्रसन्न रहता है।
♦ घर मे जाले न लगने दे, इससे मानसिक तनाव कम होता है।
♦ दिन मे एक बार चांदी के ग्लास का पानी पिये। इससे क्रोध पर नियंत्रण होता है।
♦ अपने घर मे चटकीले रंग नहीं कराये।
♦ किचन का पत्थर काला नहीं रखे।
♦ कंटीले पौधे घर मे नहीं लगाएं।
♦ भोजन रसोईघर मे बैठकर ही करे।
♦ शयन कक्ष मे मदिरापान नहीं करे। अन्यथा रोगी होने तथा डरावने सपनो का भय होता है।
♦ इन छोटे-छोटे उपायों से आप शांति का अनुभव करेगे।
♦ कौन सी वस्तु कहां रखे :
♦ सोते समय सिर दक्षिण मे पैर उत्तर दिशा मे रखे। या सिर पश्चिम मे पैर पूर्व दिशा मे रखना चाहिए।
♦ अलमारी या तिजोरी को कभी भी दक्षिणमुखी नहीं रखे।
♦ पूजा घर ईशान कोण मे रखे।
♦ रसोई घर मेन स्वीच, इलेक्ट्रीक बोर्ड, टीवी इन सब को आग्नेय कोण मे रखे।
♦ रसोई के स्टेंड का पत्थर काला नहीं रखे। दक्षिणमुखी होकर रसोई नहीं पकाए।
♦ शौचालय सदा नैर्ऋत्य कोण मे रखने का प्रयास करे।
♦ फर्श या दिवारों का रंग पूर्ण सफेद नहीं रखे।
♦ फर्श काला नहीं रखे।
♦ मुख्य द्वार की दांयी और शाम को रोजाना एक दीपक लगाएं।
♦ घर का बाहरी रंग कैसा हो :
♦ घर के आगे की दिवारो के रंग से भी वास्तु दोष दूर किया जा सकता है। यदि आपका घर पूर्वमुखी हो तो फ्रंट मे लाल, मेहरून रंग करें।
♦ पश्चिममुखी हो तो लाल, नारंगी, सिंदूरी रंग करे।
♦ उत्तरामुखी हो तो पीला, नारंगी करे।
♦ दक्षिणमुखी हो तो गहरा नीला रंग करे।
♦ किचन मे लाल रंग। बेडरूम मे हल्का नीला, आसमानी।
♦ ड्राइंग रूम मे क्रीम कलर।
♦ पूजा घर मे नारंगी रंग।
♦ शौचालय मे गहरा नीला।
♦ फर्श पूर्ण सफेद न हो क्रीम रंग का होना चाहिए।
♦ कमरो का निर्माण कैसा हो?
कमरो का निर्माण मे नाप महत्वपूर्ण होते है। उनमे आमने-सामने की दिवारे बिल्कुल एक नाप की हो, उनमे विषमता न हो। कमरो का निर्माण भी सम ही करे। 20-10, 16-10, 10-10, 20-16 आदि विषमता मे ना करे जैसे 19-16, 18-11 आदि।बेडरूम मे शयन की क्या स्थिति। बेडरूम मे सोने की व्यवस्था कुछ इस तरह हो कि सिर दक्षिण मे एवं पांव उत्तर मे हो । यदि यह संभव न हो तो सिराहना पश्चिम मे और पैर पूर्व दिशा मे हो तो बेहतर होता है। रोशनी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े। बेड रूम के दरवाजे के पास पलंग स्थापित न करे। इससे कार्य मे विफलता पैदा होती है। कम-कम से समान बेड रूम के भीतर रखे।
♦ वास्तु शास्त्र और घर की साज-सज्जा :
घर की साज सज्जा बाहरी हो या अंदर की वह हमारी बुद्धि मन और शरीर को जरूर प्रभावित करती है। घर मे यदि वस्तुएं वास्तु अनुसार सुसज्जित न हो तो वास्तु और ग्रह रश्मियो की विषमता के कारण घर मे क्लेश, अशांति का जन्म होता है। घर के बाहर की साज-सज्जा बाहरी लोगो को एवं आंतरिक शृंगार हमारे अंत: करण को सौंदर्य प्रदान करता है। जिससे सुख-शांति, सौम्यता प्राप्त होती है। भवन निर्माण के समय ध्यान रखे। भवन के अंदर के कमरों का ढलान उत्तर दिशा की तरफ न हो। ऐसा हो जाने से भवन स्वामी हमेशा ऋणी रहता है। ईशान कोण की तरफ नाली न रखें। इससे खर्च बढ़ता है।
शौचालय: शौचालय का निर्माण पूर्वोत्तर ईशान कोण मे न करे। इससे सदा दरिद्रता बनी रहती है। शौचालय का निर्माण वायव्य दिशा मे हो तो बेहतर होता है।
कमरो मे ज्यादा छिद्रों का ना होना आपको स्वस्थ और शांतिपूर्वक रखेगा।
♦ कौन से रंग का हो स्टडी रूम?
रंग का भी अध्ययन कक्ष मे बड़ा प्रभाव पड़ता है। आइए जानते है कौन-कौन से रंग आपके अध्ययन को बेहतर बनाते है। तथा कौन से रंग का स्टडी रूम मे त्याग करना चाहिए।अध्ययन कक्ष मे हल्का पीला रंग, हल्का लाल रंग, हल्का हरा रंग आपकी बुद्धि को ऊर्जा प्रदान करता है। तथा पढ़ी हुयी बाते याद रहती है। पढ़ते समय आलस्य नही आता, स्फुर्ती बनी रहती है। हरा और लाल रंग सर्वथा अध्ययन के लिए उपयोगी है। लाल रंग से मन भटकता नहीं है, तथा हरा रंग हमे सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है। नीले, काले, जामुनी जैसे रंगो का स्टडी रूम मे त्याग करना चाहिए, यह रंग नकारात्मक उर्जा के कारक है। ऐसे कमरो मे बैठकर कि गयी पढ़ाई निरर्थक हो जाती है।
Pandit Dayanand Shastri.