किसी जातक की कुण्डली मे वाणी दोष होने पर वह गूंगा हो सकता है या बोल नहीं पाता है । हमारी वाणी ही जीवन मे स्वयं के व्यक्तित्व को उभरने सँवारने बनाने और बिगड़ने मे बड़ा महत्व पूर्ण योगदान निभाती है।
“ वाणीक्या न सम अलंकृता “ ,
“ कंठा भरण भूषिता “
व्यक्ति कितने ही मूल्यवान आभूषण कंठ मे धारण करले फिर भी सुसंस्कृत, मधुर, स्नेहिल, विनयी, सन्नमानित शब्द न हो तो वह कंठ के आभूषण भी व्यर्थ बने रहेते है।
वाणी दोष होने पर आप अपनी अभिव्यक्ति नहीं कर पाते है। विचारो की अभिव्यक्ति वाणी द्वारा ही होती है। मधुरभाषी सदैव सबको प्रिय होता है। विचारो की अभिव्यक्ति वाणी से होती है। वाणी ही मनुष्य की पहचान होती है। मधुरभाषी मनुष्य सभी को प्रिय होता है। यदि वाणी मे कोई दोष आ जाए या गूंगापन आ जाए तो जीवन मे बहुत कुछ खो जाता है। इसे पूर्व जन्मो के कर्म फलो के रूप मे देखते है। नाम के बाद वाणी ही उसकी पहचान बनाती है। वाणी दोष हो तो जीवन मे एक अभाव सा रहता है, जीवन मे एक प्रकार से कुछ खो सा जाता है जो सदेव सालता रहता है। यह दोष व्यक्ति मे पूर्व जन्मों के कर्मों के कारण ही होता है।
किसी भी कुंडली मे दूसरा भाव वाणी का प्रतिनिधत्व करता है और बुध ग्रह वाणी का कारक कहलाता है। बुध मीन राशि मे होने पर नीच राशि मे होता है। बुध को पुरुष व नपुंसक ग्रह माना गया है तथा यह उत्तर दिशा का स्वामी है। बुध का शुभ रत्न पन्ना है , बुध तीन नक्षत्रो का स्वामी है अश्लेषा, ज्येष्ठ, और रेवती (नक्षत्र) इसका प्रिय रंग हरे रंग, पीतल धातु,और रत्नों मे पन्ना है। बुध एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के सानिध्य मे ही रहता है। जब कोई ग्रह सूर्य के साथ होता है तो उसे अस्त माना जाता है। यदि बुध भी 14 डिग्री या उससे कम मे सूर्य के साथ हो, तो उसे अस्त माना जाता है। लेकिन सूर्य के साथ रहने पर बुध ग्रह को अस्त का दोष नही लगता और अस्त होने से परिणामो मे भी बहुत अधिक अंतर नहीं देखा गया है। बुध ग्रह कालपुरुष की कुंडली मे तृतीय और छठे भाव का प्रतिनिधित्व करता है। बुध की कुशलता को निखारने के लिए की गयी कोशिश, छठे भाव द्वारा दिखाई देती है। जब-जब बुध का संबंध शुक्र, चंद्रमा और दशम भाव से बनता है और लग्न से दशम भाव का संबंध हो, तो व्यक्ति कला-कौशल को अपने जीवन-यापन का साधन बनाता है।
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♦ आइये जाने बुध गृह का वाणी पर प्रभाव :
बुध ग्रह को मुख्य रूप से वाणी और बुद्धि का कारक माना जाता है। इसलिए बुध के प्रबल प्रभाव वाले जातक आम तौर पर बहुत बुद्धिमान होते है तथा उनका अपनी वाणी पर बहुत अच्छा नियंत्रण होता है जिसके चलते वे अपनी बुद्धि तथा वाणी कौशल के बल पर मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियो को भी अपने अनुकूल बना लेने मे सक्षम होते है। ऐसे जातकों की वाणी तथा व्यवहार आम तौर पर अवसर के अनुकूल ही होता है जिसके कारण ये अपने जीवन मे बहुत लाभ प्राप्त करते है। किसी भी व्यक्ति से अपनी बुद्धि तथा वाणी के बल पर अपना काम निकलवा लेना ऐसे लोगों की विशेषता होती है तथा किसी प्रकार की बातचीत, बहस या वाक प्रतियोगिता मे इनसे जीत पाना अत्यंत कठिन होता है। आम तौर पर ऐसे लोग सामने वाले की शारीरिक मुद्रा तथा मनोस्थिति का सही आंकलन कर लेने के कारण उसके द्वारा पूछे जाने वाले संभावित प्रश्नो के बारे मे पहले से ही अनुमान लगा लेते है तथा इसी कारण सामने वाले व्यक्ति के प्रश्न पूछते ही ये उसका उत्तर तुरंत दे देते है। इसलिए ऐसे लोगो से बातचीत मे पार पाना किसी साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं होती तथा ऐसे जातक अपने वाणी कौशल तथा बुद्धि के बल पर आसानी से सच को झूठ तथा झूठ को सच साबित कर देने मे भी सक्षम होते है।
अपनी इन्हीं विशेषताओ के चलते बुध आम तौर पर उन्हीं क्षेत्रो तथा उनसे जुड़े लोगो का प्रतिनिधित्व करते है जिनमे सफलता प्राप्त करने के लिए चतुर वाणी, तेज गणना तथा बुद्धि कौशल की आवश्यकता दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक होती है जैसे कि वकील, पत्रकार, वित्तिय सलाहकार तथा अन्य प्रकार के सलाहकार, अनुसंधान तथा विश्लेषणात्मक क्षेत्रों से जुड़े व्यक्ति, मार्किटिंग क्षेत्र से जुड़े लोग, व्यापार जगत से जुड़े लोग, मध्यस्थता करके मुनाफा कमाने वाले लोग, अकाउंटेंट, साफ्टवेयर इंजीनियर, राजनीतिज्ञ, राजनयिक, अध्यापक, लेखक, ज्योतिषि तथा ऐसे ही अन्य व्यवसाय तथा उनसे जुड़े लोग। इस प्रकार यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आज के इस व्यसायिक जगत मे बुध ग्रह के प्रभाव वाले जातक ही सबसे अधिक सफल पाये जाते है।
बुध गले , मस्तिष्क एवं वाणी के रोग उत्पन्ना करता है , तो अगर कोइ व्यक्ति हकलता है , तुत्लाता है तो यह बुध गृह के कारण हो सकता है , बुध ऐसी स्तिथि करता है कि आप अगर कुछ बोलना चह् रहे है तो आपके दिमाग मे वह् शब्द नही आएंगे, अभद्र भाषा भि बुध गृह के ही कारण होती जाती है , आवाज़ बहुत भारी हो जाती है, जल्दबाजी मे झूठ और निंदा कर बैठते है , बुध गृह अगर किसी का बहुत खराब हो तो उनका उच्चारण इतना खराब हो जाता है कि दूसरों को समझने मे परेशानी होती है। वाणी दोष कि वजह से परिवार मे अशांति हो जाती है , अगर बुध कि उँगली (कनिष्ठ) बहुत अंदर कि तरफ झुकी हुइ है या फिर बाहर कि तरफ़ निकली हुई है , या फिर बुध के पर्वत पर बहुत सारी लकीरों का जाल है , तो जब आप बोलना चाहेंगे तब आप वह चीज बोल नही पाएँगे , झूठ ज्यादा बोलेंगे , गले से जुड़ी समस्या हो जाती है | कन्या राशि मे स्थित होने से बुध सर्वाधिक बलशाली हो जाते है जो कि इनकी अपनी राशि है तथा इस राशि मे स्थित होने पर बुध को उच्च का बुध भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त मिथुन राशि मे स्थित होने से भी बुध को अतिरिक्त बल प्राप्त होता है तथा यह राशि भी बुध की अपनी राशि है।
कुंडली मे बुध का प्रबल प्रभाव होने पर कुंडली धारक सामान्यतया बहुत व्यवहार कुशल होता है तथा कठिन से कठिन अथवा उलझे से उलझे मामलों को भी कूटनीति से ही सुलझाने मे विश्वास रखता है। ऐसे जातक बड़े शांत स्वभाव के होते है तथा प्रत्येक मामले को सुलझाने मे अपनी चतुराई से ही काम लेते है तथा इसी कारण ऐसे जातक अपने सांसारिक जीवन मे बड़े सफल होते है जिसके कारण कई बार इनके आस-पास के लोग इन्हे स्वार्थी तथा पैसे के पीछे भागने वाले भी कह देते है किन्तु ऐसे जातक अपनी धुन के बहुत पक्के होते है तथा लोगों की कही बातों पर विचार न करके अपने काम मे ही लगे रहते है। बुध के वाणी पर दुष्प्रभाव से बचने के लिए |अगर बच्चों मे तुतलाहट है तो यह चिंता का विषय बन जाता है , इस उपाय को करने से यह बीमारी ठीक हो सकती है , जबान साफ़ हो जाती है , शांत मन से शब्दों को धीरे धीरे बोलने कि कोशिश करे, अनुलोम – विलोम प्राणायाम सीख कर करा करे।
अगर आपके बच्चे को बोलने मे कठिनाई हो रही हो , या फिर कुछ शब्दों का उच्चारण ठीक से ना हो पा रहा हो तो तो उसको मजाक ना बनाये , इससे उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है और यह गंभीर रूप ले सकता है , इसके लिए बुध के उपाय करने से वाणी मे मधुरता आति है | शारदा स्तोत्र सा नित्य पाठ करते रहे। मंगल , केतु , बुध या शनि का अगर वाणी पर बूरा प्रभाव पड़ रहा होगा तो वह भी ठीक होने लगेगा। यदि कुंडली का दूसरा भाव, दूसरे भाव का स्वामी एवं वाणी कारक ग्रह बुध यदि पाप ग्रह से युत, दृष्ट या अशुभ भाव मे स्थित हो तो वाणी दोष होता है। वाणी से ही व्यक्तित्व का परिचय ओर सही पहेचान प्रदर्शित होती है |किसी भी व्यक्ति की वाणी को /आवाज को सुनकर केवल शब्दो के प्रयोजन ओर स्वर प्रवाह के माध्यम से भी किसी व्यक्ति के ग्रहों के शुभाशुभ प्रभाव को जाना जा सकता है।
बुध मस्तिष्क, जिह्वा, स्नायु तंत्र, कंठ -ग्रंथि, त्वचा, वाक-शक्ति, गर्दन आदि का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्मरण शक्ति के क्षय, सिर दर्द, त्वचा के रोग, दौरे, चेचक, पित्त, कफ और वायु प्रकृति के रोग, गूंगापन, उन्माद जैसे विभिन्न रोगों का कारक है। सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार द्वितीय स्थान वक्तृत्व शक्ति, भाषण शक्ति का स्थान है और बुध भाषण का कारक ग्रह है। सवार्थ चिंतामणिकार लिखते है कि द्वितीयेश और गुरु अस्टम मे हो तो मनुष्य मूक होता है। शम्भू होरा प्रकाश के अनुसार: शुक्र या मंगल द्वितीय या द्वादश भाव मे हो तो मूक बधिर योग होता है। पराशर होरा शास्त्र के अनुसार यदि चतुर्थ स्थान मे 1, 4, 7, 10 राशि हो तथा चतुर्थेश षष्ठ मे व मंगल 12 मे हो तो मनुष्य मूक होता है।
♦ मूक योग के बारे मे सरावली मे कुछ विशेष लक्षण बतलाए गए है-
पापग्रह राशियो की संधियो मे गए हो वृष राशि मे चंद्रमा पर मंगल शनि सूर्य की दृष्टि हो तो जातक गूंगा होता है। जातक अलंकार के अनुसार यदि द्वितीयस्थान का स्वामी ग्रह और गुरु इन मे कोई एक या दोनों 6, 8, 12 वे स्थानो मे गये हो तो मनुष्य वाणीहीन अर्थात मूक होता है।
इसी प्रकार जातक की कुंडली मे माता-पिता, भ्राता आदि स्थानों के स्वामी उनसे द्वितीयेश व गुरु से युक्त होकर त्रिक स्थानों मे (6, 8, 12) मे गए हो उन संबंधियों की मूकतां कहनी चाहिए। सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार द्वितीय स्थान वक्तृत्व शक्ति, भाषण शक्ति का स्थान है और बुध भाषण का कारक ग्रह है। वैदिक ज्योतिष अनुसार वाणी दोष के कुछ ज्योतिष योग इस प्रकार हो सकते है :
♦ मंत्रेश्वर के अनुसार –
तत्तद्भावादृष्टमेशस्थितांशो तत् त्रिकोणगे। व्ययेशस्थितमांशे वा मन्दे तद्भाव नाशनम्।
अर्थात्- जिस भाव का विचार करना हो, उससे आठवें या बारहवें भाव का स्वामी जिस राशि या नवमांश मे हो उससे 1, 5, व 9 मे भाव मे शनि आयेगा तब उस भाव का नाश करेगा। शास्त्रीय ग्रंथों मे गूंगा (मूक) योग के लिए ग्रह स्थितियां ।
1. कर्क, वृश्चिक और मीन राशि मे गये हुए बुध को अमावस्या का चंद्रमा देखता हो।
2. बुध और षष्ठेश दोनों एक साथ स्थित हो।
3. गुरु और षष्ठेश लग्न मे स्थित हो।
4. वृश्चिक और मीन राशि मे पाप ग्रह स्थित हों एवं किसी भी राशि के अंतिम अंशो मे व वृष राशि मे चंद्र स्थित हो और पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो जीवन भर के लिए मूक (गूंगा) तथा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो पांच वर्ष के बाद बालक बोलता है।
5. क्रूर ग्रह संधि मे गये हो, चंद्रमा पाप ग्रहो से युक्त हो तो भी गूंगा होता है।
6. शुक्ल पक्ष का जन्म हो और चंद्रमा, मंगल का योग लग्न मे हो।
7. कर्क, वृश्चिक और मीन राशि मे गया हुआ बुध, चंद्र से दृष्ट हो, चैथे स्थान मे सूर्य हो और छठे स्थान को पाप ग्रह देखते हों।
8. द्वितीय स्थान मे पाप ग्रह हो और द्वितीयेश नीच या अस्तंगत होकर पापग्रहो से दृष्ट हो एवं रवि, बुध का योग सिंह राशि मे किसी भी स्थान मे हो।
9. सिंह राशि मे रवि, बुध दोनों एक साथ स्थित हों तो जातक गूंगा होता है।
10. यदि षष्ठेश और बुध लग्न मे हो तथा पापग्रह द्वारा दृष्ट भी हों तो जातक गूंगा होता है।
11. यदि बुधाष्टक वर्ग बनाने पर बुध स्थित राशि से द्वितीय राशि मे कोई रेखा न हो अर्थात वह शून्य हो तो जातक गूंगा होता है। अतः पित्रादि भावों के स्वामी की स्थिति द्वारा पित्रादि के गूंगेपन के संबंध मे समझना चाहिये।
12. दूसरे भाव से त्रिक भाव मे वाणी कारक बुध स्थित हो तो यह योग होता है। अथवा द्वितीयेश त्रिक भावों मे हो तो वाणी दोष होता है। यहां त्रिक भावों की गिनती द्वितीय भाव से होगी।
13. चन्द्र लग्न या लग्न से त्रिक भाव मे द्वितीयेश या वाणी कारक बुध स्थिति हो और पापग्रह से युत या दृष्ट हो और किसी प्रकार की शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक गूंगा होता है।
14. द्वितीयेश बुध व गुरु के साथ अष्टम भाव मे हो तो जातक गूंगा होता है।
15. दूसरे भाव मे नीच ग्रह स्थित हो और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो वाणी दोष होता है।
16. दूसरे भाव मे सूर्य, चन्द्र, राहु व पापयुत शुक्र की युति हो तो वाणी दोष होता है।
17. शनि-चन्द्र की युति दूसरे भाव मे हो और उस पर सूर्य व मंगल की दृष्टि पड़े तो वाणी दोष होता है।
18. छठे भाव का स्वामी या बुध चौथे, आठवें या बारहवें स्थित हो और पापग्रह से दृष्ट हो तो वाणी दोष होता है या गूंगा होता है।
19. कर्क, वृश्चिक व मीन राशि मे गए हुए बुध को अमावस का चन्द्र देखे तो जातक गूंगा होता है।
20. द्वितीय भाव से कारक ग्रह बुध 6, 8, 12 वे भाव मे होने से दोष उत्पन्न होता है या द्वितीय भाव का स्वामी इन स्थानों मे हो या द्वितीय भाव मे 6, 8, 12 भावेश हों। यह स्थिति द्वितीयभाव को लग्न मानकर देखी जाती है।
21. जन्मलग्न या चंद्र लग्न से 6, 8, 12 भावों मे द्वितीयेश या कारक ग्रह बुध हो, इन पर पाप दृष्टि हो या पापयुक्त हो अर्थात् इन पर शुभदृष्टि न हो तो जातक गूंगा होता है।
22. द्वितीयेश इन भावों मे केंद्र व त्रिकोणेश के प्रभाव मे न हो तो भी जातक गूंगा होता है या द्वितीयेश या बुध गुरु युक्त अष्टम में हो तो भी जातक गूंगा होता है।
23. द्वितीय भाव में नीच का ग्रह हो तथा उस पर पापदृष्टि हो या पापयुक्त हो।
24. द्वितीय भाव मे सूर्य, चंद्र, राहु व पापयुक्त शुक्र हो या शनि युक्त चंद्र पापग्रही हो और सूर्य मंगल से दृष्ट हो।
25. कर्क, वृश्चिक और मीन राशि मे पापग्रह हो, चंद्र पापयुक्त हो या पापदृष्ट हो। षष्ठेश या बुध 4, 8,12 वे भाव मे पापदृष्ट हो तो जातक गूंगा होता है।
26. जन्मलग्न या चंद्र लग्न से तृतीयेश, अष्टमस्थ ग्रह, अष्टम पर दृष्टि रखने वाला ग्रह, निर्बल राहु, द्वितीयेश या बुध की दशा अंतर्दशा मे वाणी दोष उत्पन्न कर सकते है या द्वितीय भाव से 8वें या 12वें भाव का स्वामी जिस राशि नवमांश मे हो उससे 1, 5, 9वें जब शनि आयेगा, तब वाणी दोष उत्पन्न हो सकता है।
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♦ गूंगापन न होने के ज्योतिषीय योग :
1. यदि कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि मे पापग्रह हो तथा चंद्रमा किसी पाप ग्रह से द्रष्ट हो तो जातक गूंगा होता है। परंतु यदि चंद्रमा पर शुभग्रह की दृष्टि हो तो बालक अधिक समय बाद अथवा 5 वर्ष की आयु के बोद बोलना आरंभ कर देता है।
2. यदि द्वितीयेश एवं गुरु की अष्टम भाव मे युति हो तो जातक गूंगा होता है। परंतु यदि इन दोनो मे से कोई उच्च या शुभ हो तो गूंगा नहीं होता।
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यदि वाणी का कारक बुध यदि प्रभावित है तो बुध संबंधी उपाय करना चाहिये।
1. बुधवार को गणेशजी को लड्डू का प्रसाद चढ़ाये या गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करे।
2. दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाएं।
3. पेठा, कद्दू का दान करें या हरे वस्त्रों का दान करे।
4. तांबे का पैसा पानी मे बहाएं। यदि द्वितीयेश या तृतीयेश प्रभावित हो तो ग्रहो के अनुसार उपाय करने पर गूंगापन, बहरापन होने को कम किया जा सकता है।
5.उस बालक को पालतू चिड़िया का झूँठा पाली पिलाएं।
6.छोटे शंख की माला भी ऐसे बच्चों को पहनाने से लाभ होता है। शंख फूंकने से भी वाणी दोष मे सुधार सम्भव है।
सूर्य: गायत्री मंत्र का जप करे। गुड़ व गेहूं का दान करे। सूर्य को अघ्र्य दे।
चंद्र: शिवलिंग पर दूध व जल का अभिषेक करे। रात को दूध न पिये। चंद्र से संबंधित वस्तु चांदी, दूध का दान करे।
मंगल: हनुमानजी को गुड़ और चूरमे का भोग लगाएं। मीठे भोजन का दान करे। मंगलवार का व्रत रखे या सुंदर कांड का पाठ करे।
गुरु: केशर का तिलक माथे व नाभि पर लगाएं। पीपल का वृक्ष लगाएं। गुरु की सेवा करे।
शुक्र: गाय का दान करे या गाय को चारा खिलाए। शुक्र की देवी लक्ष्मीजी है। अतः उनके समक्ष घी का दीपक जलाकर श्री सूक्त का पाठ करे।
शनि: मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। तेल का दान करे। कौओं को भोजन का अंश दे।
01.वाणी दोष होने पर कार्तिकेय मंत्र व स्तोत्र का पाठ नित्य सुबह संध्या काल मे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर 10 बार पढ़े। ये प्रयोग किसी भी पुष्य नक्षत्र मे शुरू कर 27 दिनों तक अगले पुष्य नक्षत्र तक बिना किसी नागा के करे।
02.पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करते हुए ब्रह्माजी द्वारा नारद जी को बताए गए अश्वत्थ स्तोत्र का पाठ करना चाहिए व दीप प्रज्वलित करना चाहिए। इस उपाय को कने से गुरु जनित वाणी विकार व बधिर योग काफी हद तक शांत हो जाता है।
03.जिस दिन अनुराधा नक्षत्र बृहस्पतिवार को हो उस दिन सिरस के व आम के कोमल पत्तो को तोड़कर उनका रस निकाल कर उसे गुनगुना कर 4 बुंदे नित्य दोनो कानो मे 62 दिन तक लगातार डाले। कर्ण रोग से व सुनने मे उत्पन्न समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
04.जिस जातक के जन्मांग मे यह योग परिलक्षित होता है। उस जातक को भी वागेश्वरी पूजा यंत्र को सवा सात लाख मंत्रों से अभिमंत्रित करके शुक्ल पंचमी के दिन धारण करने से दोनों समस्याओं का निवारण होता है।
05.चांदी की सरस्वती का दान शुक्लपक्ष पंचमी को या बसंतपंचमी को करना मूक दोष को शांत करने का सर्वोत्तम उपाय है।
06. बुधवार को गरीब लड़कियों को भोजन व हरा कपड़ा दे।
07.किसी किन्नर/हिजड़े को बुध के दिन चांदी की चूड़ी और हरे रंग की साड़ी का दान करे ।
08. बुध के मन्त्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” तथा सामान्य मंत्र “बुं बुधाय नमः” है। बुधवार के दिन हरे रंग के आसन पर बैठकर उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बुध मंत्र का जाप करे ।
09.कुंडली के दूसरे भाव/भावेश तथा उसके नक्षत्र स्वामी को मजबूत करे और अगर क्रूर ग्रह का प्रभाव हो तो उसकी शांति के उपाय करे। वृहस्पति को मजबूत करे, भगवान गणेश ओर माँ शारदा का आराधना करे।
10. हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रंग के वस्तुओं का दान उत्तम कहा जाता है।
11. विष्णु सहस्रनाम का जाप भी लाभकारी होता है।
12. तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
13. हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
14. गणेशजी को लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चो को बाँटे।
बुध यंत्र से लाभ : कुंडली मे बुध कमजोर होने के कारण स्मरण शक्ति कमजोर हो,वाणी दोष हो, बुध यंत्र लाॅकेट चांदी मे शुद्धीकरण आदि करके हरे धागे मे बुधवार को सुबह धारण करना चाहिए। इसके साथ पाप ग्रह राहु ,केतु शनि ,मंगल, का उपाय करना चाहिए ।
♦ ये वास्तुदोष भी बनते है वाणी दोष के कारण :
खिड़की, दरवाजे और मुख्य रूप से मेन-गेट पर काला पेंट हो तो परिवार के सदस्यों के व्यवहार मे अशिष्टता, गुस्सा, बदजुबानी आदि बढ़ जाते है। जन्मपत्रिका मे वाणी दोष ( ग्रह शनि, राहु मंगल और केतु ) हो, तो प्रभाव विशेष रूप से पता लगता है । यदि मंगल व केतु का प्रभाव हो तो लाल पेंट धारण से कुतर्क, अधिक बहस, झगड़ालू और व्यंगात्मक भाषा इस्तेमाल होती है। ऐसे हालात मे सफेद रंग का प्रयोग लाभदायक होता है।