आज जीवन के हर मोड़ पर आम आदमी स्वयं को खोया हुआ महसूस करता है। विशेष रूप से वह विद्यार्थी जिसने हाल ही मे दसवीं या बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है, उसके सामने सबसे बड़ा संकट यह रहता है कि वह कौन से विषय का चयन करे जो उसके लिए लाभदायक हो। एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी अच्छी मदद कर सकता है। जन्मपत्रिका मे पंचम भाव से शिक्षा तथा नवम भाव से उच्च शिक्षा तथा भाग्य के बारे मे विचार किया जाता है।सबसे पहले जातक की कुंडली मे पंचम भाव तथा उसका स्वामी कौन है तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहो की दृष्टि है, ये ग्रह शुभ-अशुभ है अथवा मित्र-शत्रु, अधिमित्र है विचार करना चाहिए। दूसरी बात नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव स्थित ग्रह, नवम भाव पर ग्रह दृष्टि आदि शुभाशुभ का जानना।
बुध और गुरु उस क्षेत्र की बुद्धि और शिक्षा प्रदान करते है। यद्यपि क्षेत्र इनका भी निश्चित है, लेकिन इन पर जिम्मेदारियां ज्यादा रहती है। इसलिये कुंडली मे इनकी शक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज हम किसी एक या दो ग्रहो के करियर पर प्रभाव की चर्चा करेगे। जन्मकुंडली मे वैसे तो सभी बारह भाव एक दूसरे को पूरक है, किंतु पराक्रम, ज्ञान, कर्म और लाभ इनमे महत्?वपूर्ण है। इसके साथ ही इन सभी भावों का प्रभाव नवम भाग्य भाव से तय होता है। अत: यह परम भाव है।
♦ प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बली होने चाहिए। मंगल से जातक मे साहस एवं पराक्रम आता है जोकि अत्यन्त आवश्यक है। सूर्य से नेतृत्व करने की क्षमता मिलती है, गुरु से विवेक सम्मत निर्णय लेने की क्षमता मिलती है और चन्द्र से शालीनता आती है एवं मस्तिष्क स्थिर रहता है।
♦ यदि कुण्डली मे अमात्यकारक ग्रह बली है अर्थात् स्वराशि, उच्च या वर्गोत्तम मे है एवं केन्द्र मे हो या तीसरे या दसवें हो तो अत्यन्त उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
♦ अमात्यकारक ग्रह नवांश मे आत्मकारक ग्रह से केन्द्र, तीसरे या एकादशा भाव मे हो तो जातक बाधा रहित नौकरी करता है।
♦ एकादशेश नौवे भाव मे हो या दशमेश के साथ युत हो या दृष्ट हो तो जातक मे प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना अधिक होती है।
♦ पंचम भाव मे उच्च का गुरु या शुक्र हो और उस पर शुभ ग्रहो का प्रभाव हो एवं सूर्य अच्छी स्थिति मे हो तो जातक इन दशाओं मे उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
♦ सूर्य और मंगल यानी सोच और साहस के परम शुभ ग्रह माने गये है। सूर्य को कुंडली की आत्मा कहा गया है। और शोधपरक, आविष्कारक, रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित कार्यों मे इनका खास दखल रहता है। मशीनरी अथवा वैज्ञानिक कार्यों की सफलता सूर्यदेव के बगैर संभव ही नहीं है। जब यही सूक्ष्म कार्य मानव शरीर से जुड़ जाता है तो शुक्र का रोल आरंभ हो जाता है, क्योंकि मेडिकल एस्ट्रोजॉली मे शुक्र तंत्रिका तंत्र विज्ञान के कारक है। यानी शुक्र को न्यूरोलॉजी और गुप्त रोग का ज्ञान देने वाला माना गया है। सजीव मे शुक्र का रोल अधिक रहता है और निर्जीव मे सूर्य का रोल अधिक रहता है। लेकिन, जब इन्हीं सूर्य के साथ मंगल मिले है, तो पुलिस, सेना, इंजीनियर, अग्निशमन विभाग, कृषि कार्य, जमीन-जायदाद, ठेकेदारी, सर्जरी, खेल, राजनीति तथा अन्य प्रबंधन कार्य के क्षेत्र मे अपना भाग्य आजमा सकते है। यदि इनकी युति पराक्रम भाव मे दशम अथवा एकादश भाव मे हो इंजीनियरिंग, आईआईटी वैज्ञानिक बनने के साथ-साथ अच्छे खिलाड़ी और प्रशासक बनना लगभग सुनिश्चित कर देती है। अधिकतर वैज्ञानिक, खिलाडिय़ों और प्रभावशाली व्यक्तियों की कुंडली मे यह युति और योग देखे जा सकते है। आज के प्रोफेशनल युग मे इनका प्रभाव और फल चरम पर रहता है। इसलिये यह मानकर चलें कि यदि कुंडली मे मंगल, सूर्य तीसरे दसवे या ग्याहरवें भाव मे हो तो अन्य ग्रहो के द्वारा बने हयु योगों को ध्यान मे रखकर उपरोक्त कहे गये क्षेत्रो मे अपना भाग्य आजमाना चाहिये। यदि इनके साथ बुध भी जुड़ जाये तो एजुकेशन, बैंक और बीमा क्षेत्र मे किस्मत आजमा सकते हैं। लेकिन, इसके लिये कुंडली मे बुध ओर गुरु की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है।
♦लग्नेश और दशमेश स्वराशि या उच्च का होकर केन्द्र या त्रिकोण मे स्थित हो और गुरु उच्च या स्वराशि मे हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
♦ लग्न मे सूर्य और बुध हो और गुरु की शुभ दृष्टि इन पर हो तो जातक प्रशासनिक सेवा मे उच्च पद प्राप्त करने मे सफल रहता है।
♦ कुण्डली मे नौकरी मे सफलता मिलने की संभावनाएं और अधिक हो जाती है यदि इन कारक ग्रहों की दशाएं भी मिल जाएं।
♦ आई.ए.एस. बनने के लिये तृतीयेश, षष्ठेश, दशमेश व एकादशेश की दशा मिलनी सोने मे सुहागा होता है अर्थात् सफलता निश्चित है।
♦ दशम भाव मे सर्वाष्टक वर्ग की संख्या से कम संख्या पंचम भाव मे होनी चाहिए। ऐसा हो तो नौकरी मे कैरियर अच्छा रहता है।
♦ दशम मे कम एवं एकादश मे सर्वाष्टक वर्ग की संख्या अधिक होनी चाहिए। यह अन्तर जितना अधिक होता है ऐसा होने पर अल्प श्रम मे अधिक लाभ्ा होता है।
♦ तीसरे, छठे, दसवें, एकादश मे सर्वाष्टक वर्ग की संख्या बढ़ते क्रम मे हो तो प्रशासनिक सेवाओं मे धन, यश एवं उन्नति तीनों एक साथ मिलते है । ऐसे अधिकारी की सभी प्रशंसा करते है।
♦ उक्त ज्योतिष योग कुण्डली मे विचार कर आप जातक के प्रशासनिक सेवाओं मे सफलता का निर्णय करके जातक को उचित सलाह देकर यश एवं धन के भागी बन सकते है। ये योग इस क्षेत्र मे अच्छा कैरियर बनाते है। कुण्डली मे ग्रहों से बनने वाले ज्योतिष योग ही जातक की आजीविका का क्षेत्र बताते है। अधिकांश लोग प्रशासनिक सेवाओं मे अपना कैरियर बनाकर सफलता पाना चाहते है। आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली मे सर्वप्रथम शिक्षा का स्तर सर्वोत्तम होना चाहिए। कुंडली के दूसरे, चतुर्थ, पंचम एवं नवम भाव व भावेशों के बली होने पर जातक की शिक्षा उतम होती है। शिक्षा के कारक ग्रह बुध, गुरु व मंगल बली होने चाहिएं, यदि ये बली है तो विशिष्ट शिक्षा मिलती है और जातक के लिए सफलता का मार्ग खोलती है।
♦ छठा, पहला व दशम भाव व भावेश बली हो तो प्रतियोगी परीक्षा मे सफलता अवश्य मिलती है। सफलता के लिये समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम की आवश्यकता होती है। इसका बोध तीसरे भाव एवं तृतीयेश के बली होने पर होता है। यदि ये बली है तो जातक मे समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम करने की क्षमता होती है और व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा मे सफलता की मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
♦ सूर्य को राजा और गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दोनो ग्रह मुख्य रूप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं मे सफलता और उच्च पद प्राप्ति मे सहायक है। जनता से अधिक वास्ता पड़ता है इसलिए शनि का बली होना अत्यन्त आवश्यक है। शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियो के बीच की कड़ी है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है और ये बली हों तो जातक अपनी कलम का लोहा नौकरी मे अवश्य मनवाता है। कुण्डली मे बनने वाले योग ही बताते है कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा। प्रशासनिक सेवाओं मे प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगो मे रहती है। आईये देखे कि कौन से योग प्रशासनिक अधिकारी के कैरियर मे आपको सफलता दिला सकते है :
1. उच्च शिक्षा के योग :
आई. ए. एस. जैसे उच्च पद प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली मे शिक्षा का स्तर अच्छा होना चाहिए। शिक्षा के लिये शिक्षा के भाव दूसरा, चतुर्थ भाव, पंचम भाव व नवम भाव को देखा जाता है। इन भाव/भावेशो के बली होने पर व्यक्ति की शिक्षा उतम मानी जाती है। शिक्षा से जुडे ग्रह है बुध, गुरु व मंगल इसके अतिरिक्त शिक्षा को विशिष्ट बनाने वाले योग भी व्यक्ति की सफलता का मार्ग खोलते है। शिक्षा के अच्छे होने से व्यक्ति नौकरी की परीक्षा मे बैठने के लिये योग्यता आती है।
2. आवश्यक भाव: छठा, पहला व दशम घर :
किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा मे सफलता के लिये लग्न, षष्टम, तथा दशम भावो/ भावेशों का शक्तिशाली होना तथा इनमे पारस्परिक संबन्ध होना आवश्यक है। ये भाव/ भावेश जितने समर्थ होगें और उनमे पारस्परिक सम्बन्ध जितने गहरे होगें उतनी ही उंचाई तक व्यक्ति अपनी नौकरी मे जा सकेगा.इसके अतिरिक्त सफलता के लिये पूरी तौर से समर्पण तथा एकाग्र मेहनत की आवश्यकता होती है। इन सब गुणौ का बोध तीसरा घर कराता है। जिससे पराक्रम के घर के नाम से जाना जाता है। तीसरा भाव इसलिये भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योकी यह दशम घर से छठा घर है। इस घर से व्यवसाय के शत्रु देखे जाते है। इसके बली होने से व्यक्ति मे व्यवसाय के शत्रुओं से लडने की क्षमता आती है। यह घर उर्जा देता है। जिससे सफलता की उंचाईयों को छूना संभव हो पाता है।
3. आवश्यक ग्रह :
कुण्डली के सभी ग्रहो मे सूर्य को राजा की उपाधि दी गई है। तथा गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दो ग्रह मुख्य रुप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं मे सफलता और उच्च पद प्राप्ति मे सहायक ग्रह माना जाता है। एसे अधिकारियो के लिये जिनका कार्य मुख्य रुप से जनता की सेवा करना है। उनके लिये शनि का महत्व अधिक हो जाता है। क्योकि शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच के सेतू है। कई प्रशासनिक अधिकारी नौकरी करते समय भी लेखन को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने मे सफल हुए है। यह मंगल व बुध की कृपा के बिना संभव नहीं है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है। प्रशासनिक अधिकारी मे चयन के लिये सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बलिष्ठ होने चाहिए। मंगल से व्यक्ति मे साहस, पराक्रम व जोश आता है। जो प्रतियोगीताओ मे सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है।
4. अमात्यकारक ग्रह की भूमिका :
प्रशासनिक अधिकारी के पद की प्राप्ति के लिये अमात्यकारक ग्रह बडी भूमिका निभाता है। अगर किसी कुण्डली मे अमात्यकारक बली है। (स्वग्रही, उच्च के, वर्गोतम) आदि स्थिति मे हो तथा केन्द्र मे है।इसके अतिरिक्त बलशाली अमात्यकार तीसरे व एकादश घरो मे होने पर व्यक्ति को अपने जीवन काल मे काफी उंचाई तक जाने का मौका मिलता है। इस स्थिति मे व्यक्ति को एसे काम करने के अवसर मिलते है। जिनमे वह आनन्द का अनुभव कर पाता है। अमात्यकारक नवाशं मे आत्मकारक से केन्द्र अथवा तीसरे या एकादश भाव मे हो तो व्यक्ति को सुन्दर व बाधा रहित नौकरी मिलती है। इसलिये अमात्यकारक की नवाशं मे स्थिति भी देखी जाती है।
5. दशायें :
व्यक्ति की कुण्डली मे नौकरी मे सफलता मिलने की संभावनाएं अधिक है और दशा भी उन्ही ग्रहों से संबन्धित मिल जाये तो सफलता अवश्य मिलती है। व्यक्ति को आई.ए.एस. बनने के लिये दशम, छठे, तीसरे व लग्न भाव/भावेशो की दशा मिलनी अच्छी होगी ।
6 अन्य योग :
क) भाव एकादश का स्वामी नवम घर मे हो या दशम भाव के स्वामी से युति या दृ्ष्ट हो तो व्यक्ति के प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना बनती है।
ख) पंचम भाव मे उच्च का गुरु या शुक्र होने पर उसपर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तथा सूर्य भी अच्छी स्थिति मे हो तो व्यक्ति इन्ही ग्रहों की दशाओं मे उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
ग) लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर केन्द्र या त्रिकोण मे हो और गुरु उच्च का या स्वग्रही हो तो भी व्यक्ति की प्रशासनिक अधिकारी बनने की प्रबल संभावना होती है।
घ) कुण्डली के केन्द्र मे विशेषकर लग्न मे सूर्य, और बुध हो और गुरु की शुभ दृ्ष्टि इन पर हो तो जातक प्रशासनिक सेवा मे उच्च पद प्राप्त करने मे सफल रहता है। ग्रहानुसार करें विषय चयन :
♦ यदि चौथे व पाँचवे भाव पर हो :
1 सूर्य का प्रभाव – आर्ट्स, विज्ञान
2 मंगल का प्रभाव – जीव विज्ञान
3. चंद्रमा का प्रभाव – ट्रेवलिंग, टूरिज्म
४. बृहस्पति का प्रभाव – किसी विषय मे अध्यापन की डिग्री
5 बुध का प्रभाव – कॉमर्स, कम्प्यूटर
6 शुक्र का प्रभाव- मीडिया, मास कम्युनिकेशन, गायन, वादन
7 शनि का प्रभाव- तकनीकी क्षेत्र, गणित
इन मुख्य ग्रहों के अलावा ग्रहों की युति-प्रतियुति का भी अध्ययन करें, तभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचें। (जैसे शुक्र और बुध हो तो होम्योपैथी या आयुर्वेद पढ़ाएँ) ताकि चुना गया विषय बच्चे को आगे सफलता दिला सके। उक्त ज्योतिष योग कुण्डली मे विचार कर आप जातक के प्रशासनिक सेवाओं मे सफलता का निर्णय करके जातक को उचित सलाह देकर यश एवं धन के भागी बन सकते है। ये योग इस क्षेत्र मे अच्छा कैरियर बनाते है।