आज की इस भागदौड़ से भरी जिंदगी मे हम सभी अपने अपने काम मे व्यस्त है। इसके कारण से अधिकतर लोग मानसिक शांति से ग्रस्त होते है। व्यस्ता एवं भौतिकता से भरी दिनचार्या मे व्यक्ति के पास अपने स्वयं के लिए भी वक्त ही नहीं होता है। सुख और मानसिक शांति हर व्यक्ति की चाह होती है। सभी चाहते है कि उन्हे किसी तरह का मानसिक तनाव ना हो और उनकी जिन्दगी सुकून से भरपूर हो। ऐसे मे अगर घर का वास्तु गलत हो तो घर के सदस्यो को अधिक मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता रहा है कि तनाव के शिकार केवल बड़ी उम्र लोग ही होते है, लेकिन समय-समय पर हुए विभिन्न सर्वेक्षणो मे यह बात सामने आई है कि तनावग्रस्त लोगो मे ज्यादा संख्या युवाओ की है। वर्ममान मे सोलह साल का बच्चा भी इस मर्ज से पीड़ित है। पढ़ाई ठीक से नहीं हो रही, भविष्य मे उसका करियर कैसा होगा, जैसी बाते उसे उम्र से पहले ही तनाव से भर देती है। आधुनिक सुख-सुविधाओ से जहाँ एक ओर शारीरिक सुख बढे़ है तो दूसरी ओर मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है। आज बड़े की बात तो छोड़े प्रायमरी स्कूल मे जाने वाला बच्चा भी तनाव की बात करता है। यूँ तो तनाव बढ़ने के कई कारण होते है, परन्तु तनाव बढ़ाने मे वास्तु की भी एक अहम् भूमिका होती है। पुराने समय लगभग सभी घर आयताकार होते थे। घरो मे सामान्यतः बोरिंग, भूमिगत पानी की टंकी, सैप्टिक टैक इत्यादि नहीं होते थे। इस कारण जमीन समतल हुआ करती थी। आज अनियमित आकार के फ्लैट्स व मकान निर्मित किए जा रहे है। अब तो 30×50 के प्लॉट मे भी एक बोरिंग, एक भूमिगत पानी की टंकी, एक सैप्टिक टैंक बनाया जाता है। जो वास्तु ज्ञान न होने के कारण ज्यादातर गलत स्थानो पर ही निर्मित किए जाते है। यह ऐसे महत्वपूर्ण वास्तुदोष है जो कि परिवार मे दुखद हादसे, अनहोनी के कारण तनाव वाली स्थितियाँ पैदा करते है। घर के वास्तु का प्रभाव वहाँ निवास करने वाले सभी पर पड़ता है चाहे वह मकान मालिक हो या किरायदार।