♦ भारत में अधिकांश शिक्षा बोर्ड के परिणाम आ चुके हैं। युवा विद्यार्थी के साथ साथ उनके परिजनों को भी चिंता होती हैं की आगे किस क्षेत्र में शिक्षा दिलवाना उचित रहेगा। यह कोई चिंता का कठिन विषय नहीं हैं। यदि आप किसी योग्य एवम् अनुभवी विद्वान् ज्योतिषाचार्य से इस सम्बन्ध में सलाह ले तो वह आपको समुचित मार्गदर्शन दे सकता है। हमारे वेदिक ज्योतिष द्वारा किसी भी जातक की जन्म कुंडली में बने ग्रह-नक्षत्रों के योगों के आधार पर यह जाना जा सकता है की किस क्षेत्र में शिक्षा या प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आपको अच्छी नौकरी मिल सकती है।
♦ पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्रीसे जानिए इस विषय से सम्बंधित ज्योतिष के कुछ योगों को और स्वयं मिलाये अपनी जन्मपत्री। आप खुद जान जाएंगे की आप कौन से क्षेत्रों में सफल होंगे।
♦ यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा जल तत्व की राशि में हो कर पाप ग्रहों शनि, राहु, केतु, सूर्य या मंगल से दृष्ट हो तथा बलवान गुरु दशम या लग्न को प्रभावित करें तो व्यक्ति चिकित्साह बन सकता है। चन्द्रमा और शुक्र या चन्द्रमा और बुध यदि मिलकर लग्न को देखें तो व्यक्ति चिकित्साह के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इन योगों के साथ साथ बलवान मंगल और राहु व्यक्ति को कुशल शल्य चिकित्सा बनाता है।
♦जब कुंडली में शुक्र और चन्द्रमा शुभ ग्रहों की राशि में हो कर पंचम भाव से सम्बंधित हो तो व्यक्ति कला विषयों की शिक्षा लेता है। इसके साथ कुंडली में तीसरे और दसवें भाव का सम्बन्ध शुभ ग्रहों से बन जाये तो जातक को संगीत, कला, मनोरंजन, एक्टिंग आदि के क्षेत्र में कैरियर बनाने का अवसर मिलता है। पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कला के क्षेत्र में अच्छे कैरियर के लिए जन्म लग्न और नवमांश लग्न पर शुभ ग्रहों का प्रभाव परमावश्यक है।
♦जब किसी कुंडली में बलवान शनि, मंगल, सूर्य या राहु-केतु का संबंध पंचम और दशम भाव से बन जाये तो व्यक्ति इंजीनियरिंग में कैरियर बना सकता हैपंडित दयानन्द शास्त्रीके अनुसार जब केतु , बुध और मंगल का पंचम भाव से सम्बन्ध कम्प्यूटर, सूचना तकनीक , दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक आदि क्षेत्रों में जातक को कैरियर बनाने का अवसर प्रदान करता है।
♦ जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य और मंगल का संबंध लग्न, तीसरे, छठे या दशम भाव से है तो व्यक्ति पुलिस, अर्धसैनिक बल, सेना, खेल-कूद आदि के क्षेत्रों में अपनी मेहनत से कैरियर बना सकता है।
♦ जब कुंडली में मंगल, गुरु और शनि का संबंध पांचवें, छठे, नवम और दशम भाव से बनते हों तो व्यक्ति कानून की पढाई के बाद अच्छे वकील बन सकते हैं।
♦पंडित दयानन्द शास्त्रीके अनुसार इस योग में यदि गुरु विशेष बलवान हो तो व्यक्ति जज भी बन सकता है।
♦ यदि किसी कुंडली में बलवान गुरु और बुध का संबंध यदि पांचवें, तीसरे और दसवें भाव से है तो व्यक्ति लेखन कार्य में कुशल होता है। ऐसा व्यक्ति पत्रकार या स्वतंत्र लेखन कार्य कर अपनी आजीविका कमा सकता है। पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस योग में यदि शुक्र और चन्द्रमा विशेष बलवान होकर जन्म लग्न या कारकांश लग्न से दशम भाव को देखें तो व्यक्त टीवी पत्रकार या एंकर बन कर खूब नाम कमा सकता है।