भगवान शिव ने समस्त लोगो के कल्याण के लिए अपने नेत्रो से आंसू के रूप मे रुद्राक्ष उत्पन्न किए क्योंकि भगवान शिव कल्याण करने वाले देवता है इसलिए उनकी आँख से प्रथम आंसू गिरते ही एक मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुए इसलिए एक मुखी गोल रुद्राक्ष को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है। एक मखी गोल रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का स्वरुप माना गया है और इस ब्रह्माण्ड की कल्याणकारी वस्तुओ मे एक मुखी रुद्राक्ष पहले नंबर पर आता है।रुद्राक्ष को एक बार धारण करने मात्र से ही समस्त पाप नष्ट हो जाते है। हमारे पुराणो आदि मे इसका विस्तृत वर्णन किया गया है। रुदाक्ष धारण किए बिना की गई पूजा काशी, गंगाक्षेत्र अथवा अन्य तीर्थक्षेत्रो मे भी कोई फल प्रदान नहीं करती।
एक मुखी रुद्राक्ष दो प्रकार के दाने इस धरती पर पाए गए है। एक गोल आकार मे है और दूसरा काजू के आकार मे है लेकिन जो इसमे नेपाल का गोल दाना है उसी को असली एक मुखी और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है। प्राचीन कहानी के अनुसार एक बार त्रिपुर नाम के एक राक्षस ने ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओ को तिरस्कृत किया, तो इन देवताओ ने भगवान शंकर से सभी की रक्षा करने को कहा। तब समाधिस्थ शंकर जी ने अपने नेत्र खोले। नेत्रो से जलबिंदु गिरे और वही महारुद्राक्ष के वृक्ष के रूप मे बदल गए।
♦ जानिए एक मुखी गोल रुद्राक्ष के लाभ :
एक मुखी गोल रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही गंभीर पापो से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश मे होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है। यह इतना प्रभावशाली होता है कि जिस व्यक्ति के पास एकमुखी रुद्राक्ष होता है। उसे शिव के समान समस्त शक्तियां प्राप्त हो जाती है। एकमुखी रुद्राक्ष बेहद शक्तिशाली और दुर्लभ होता है। यह एक दुर्लभ रुद्राक्ष है जो किस्मत वालो को ही मिलता है। शरीर मे हाई BP इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने लगता है और कम दवाई से ही BP शांत रहता है। सभी रुद्राक्षो मे एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है। इसके धारण करने से शत्रुओ के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति मे भी यह रुद्राक्ष सहायक है एकमुखी रुद्राक्ष सिंह राशि के जातको के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस रुद्राक्ष की पूजा जहाँ होती है वहाँ से लक्ष्मी कभी दूर नहीं होती। इसे गर्भवती महिलाओ और बच्चो को धारण नहीं करना चाहिए।
♦ एक मुखी गोल रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र :
वैसे तो एक मुखी गोल रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है लेकिन शिव का पंचाक्षर बीज मंत्र “ॐ नमः शिवाय” से भी कोई भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात् नित्य प्रति “ॐ नमः शिवाय” की पाँच माला जाप करने भर से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है |
♦ कब करे रुद्राक्ष धारण..????
ग्रहण मे, संक्रांति, अमावस, पूर्णिमा और महाशिवरात्रि को रुद्राक्ष धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष की पहचान करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जो रुद्राक्ष पानी मे डूब जाए, वही असली होता है। जाबाल श्रुति के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से किया गया पाप नगण्य हो जाता है। आंवले के सामान वाले रुद्राक्ष को उत्तम माना गया है।
♦ क्या रखे सावधानी रुद्राक्ष धारण मे..???
सफेद वर्ण के रुद्राक्ष ब्राह्मण को, रक्त वर्ण के क्षत्रिय को, पीत वर्ण के वैश्य को और कृष्ण वर्ण के रुद्राक्ष शूद को धारण करने चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन, लहसुन, प्याज तथा नशीले भोज्य पदार्थों का सेवन नही करना चाहिए।
♦ कितने रुद्राक्ष दानो की माला धारण करनी चाहिए?
अगर 26 की माला है तो सिर पर, 54 की गले मे, 16 की माला हाथो मे, 12 की मणिबंध मे और 108, 54, 27 दानों की रुद्राक्ष माला धारण करने या जाप करने से बहुत पुण्य फल मिलता है। 108 की माला धारण करने वाला अपनी 21 पीढ़ियो का उद्घार करता है।