पण्डित “विशाल” दयानंद शास्त्री के अनुसार जिन लोगों की कुंडली मे गुरुप्रतिकूल स्थान पर होता है, उनके जीवन मे कई उतार-चढ़ाव आते है। वे लोग यदि गुरु पूर्णिमा के दिन नीचे लिखे उपाय करे तो उन्हें इससे काफी लाभ होता है। वैदिक ज्योतिष और स्वयं की कुंडली के आधार पर नीचे दी गयी स्थिति मे गुरु यंत्र रखना चाहिए एवं गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए-
♦ आपकी कुंडली मे गुरु नीचस्थ राशि में यानि की मकर राशि मे है तो गुरु यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
♦ गुरु-राहु, गुरु-केतु या गुरु-शनि युति मे होने पर भी यह यंत्र लाभदायी है।
♦ आपकी कुंडली मे गुरु नीचस्थ स्थान मे यानि कि ६, ८ या १२ वे स्थान मे है तो आपको गुरु यंत्र रखना चाहिए एवं उसकी नियमित तौर पर पूजा करनी चाहिए।
♦ भोजन मे केसर का प्रयोग करे और स्नान के बाद नाभि तथा मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।
♦ साधु, ब्राह्मण एवं पीपल के वृक्ष की पूजा करे।
♦ गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान के जल में नागरमोथा नामक वनस्पति डालकर स्नान करे।
♦ पीले रंग के फूलों के पौधे अपने घर मे लगाएं और पीला रंग उपहार मे दे।
♦ केले के दो पौधे विष्णु भगवान के मंदिर मे लगाएं।
♦ गुरु पूर्णिमा के दिन साबूत मूंग मंदिर मे दान करे और 12 वर्ष से छोटी कन्याओं के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद ले।
♦शुभ मुहूर्त मे चांदी का बर्तन अपने घर की भूमि में दबाएं और साधु संतों का अपमान नहीं करे।
♦जिस पलंग पर आप सोते हैं, उसके चारों कोनों में सोने की कील अथवा सोने का तार लगाएं ।
♦कुंडली मे गुरु वक्री या अस्त है तो गुरु अपना बल प्राप्त नहीं कर पाता, इसलिए आपको इस यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
♦ जिनकी कुंडली मे विद्याभ्यास, संतान, वित्त एवं दाम्पत्यजीवन सम्बंधित तकलीफ है तो उन्हें विद्वान ज्योतिष की सलाह लेकर गुरु का रत्न पुखराज कल्पित करना आवश्यक है।
♦ इस के अलावा आपकी कुंडली मे हो रहे हर तरह के वित्तीय दोष को दूर करने के लिए आप श्री यंत्र की पूजा करेंगे तो अधिक लाभ होगा।