♦एक मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- एक मुखी रुद्राक्ष शिव का स्वरुप है |
लाभ- एक मुखी रुद्राक्ष ब्रहम हत्या आदि पापो को दूर करता है |
मंत्र- एक मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का जाप कर के धारण करे |
♦दो मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- दो मुखी रुद्राक्ष देवता स्वरुप है,पापो को दूर करने वाला और अर्धनारीइश्वर स्वरुप है |
लाभ- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अर्धनारीइश्वर प्रस्सन होते है |
मंत्र- दो मुखी रुद्राक्ष को “ॐ नमः “ का जाप कर के धारण करे |
♦तीन मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि स्वरुप है |
लाभ- तीन मुखी रुद्राक्ष हत्या आदि पापो को दूर करने में समर्थ है,शौर्य और ऐश्वर्या को बढाने वाला है |
मंत्र- तीन मुखी रुद्राक्ष को “ॐ क्लीं नमः” का जाप कर के धारण करे|
♦चतुर्मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- चतुर्मुखी रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्म जी का स्वरुप है |
लाभ- चतुर्मुखी रुद्राक्ष के स्पर्श और दर्शन मात्र से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, की प्राप्ति होती है |
मंत्र- चतुर्मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मन्त्र का जाप कर के धारण करे|
♦ पञ्च मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- पञ्च मुखी रुद्राक्ष पञ्च देवो (विष्णु,शिव,गणेश,सूर्य और देवी) का स्वरुप है |
लाभ- “पञ्च वक्त्रं तु रुद्राक्ष पञ्च ब्रहम स्वरूप्कम “ इस के धारण मात्र से नर हत्या का पाप मुक्त हो जाता है, इस को धारण करने से काल अग्नि स्वरुप अगम्य पाप दूर होते है |
मंत्र – पञ्च मुखी रुद्राक्ष को ” ॐ ह्रीं नमः “ मंत्र का जाप कर के धारण करे |
♦छह मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- छह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कार्तिके स्वरुप है |
लाभ- छह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से श्री और आरोग्य की प्राप्ति होती है |
मंत्र- छह मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का जाप कर के धारण करे |
♦सप्त मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- सप्त मुखी रुद्राक्ष साक्षात् कामदेव स्वरुप है |
लाभ- सप्त मुखी रुद्राक्ष अत्यंत भाग्य शाली और स्वर्ण चोरो आदि पापो को दूर करता है |
मंत्र- सप्त मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं नमः” मंत्र का जाप कर के धारण करे |
♦ अष्ट मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- यह रुद्राक्ष साक्षात् साक्षी विनायक देव है |
लाभ- इस के धारण करने से पञ्च पातको का नाश होता है |
मंत्र- इस को “ॐ हम नमः” मंत्र का जाप कर के धारण करने से परम पद की प्राप्ति होती है!
♦नवमुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- इसे भेरव और कपिल मुनि का प्रतीक माना गया है | नौ रूप धारण करने वाली भगवती दुर्गा इस की अधीश्तात्री मानी गई है |
लाभ- जो मनुष्य भगवती परायण हो कर अपनी बाई हाथ अथवा भुजा पर इस को धारण करता है, उस पर नव शक्तिया प्रसन्न होती है वह शिव के सामान बलि हो जाता है |
मंत्र- इसे “ॐ ह्रीं हुं नमः” का जाप कर के धारण करना चाहये |
♦दश मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- दश मुखी रुद्राक्ष साक्षात् भगवान जनादन है |
लाभ- इस के धारण करने से ग्रह, पिचाश,बेताल,ब्रम्ह राक्षश,और नाग आदि का भय दूर होता है |
मंत्र- इसे मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” का जाप कर के धारण करना चाहिए |
♦एकादश मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- एकादश मुखी रुद्राक्ष एकादश रुदर स्वरुप है |
लाभ- शिखा पर धारण करने से पुण्य फल,श्रेष्ठ यज्ञो के फल की प्राप्ति होती है |
मंत्र- एकादश मुखी रुद्राक्ष को “ॐ ह्रीं हम नमः” का जाप कर के धारण करने से साधक सर्वत्र विजय होता है |
♦द्वादश मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- द्वादश मुखी रुद्राक्ष महा विष्णु का स्वरुप है |
लाभ- इसे कान में धारण करने से द्वादश आदित्य भी प्रस्सन होते है |
मंत्र- इस रुद्राक्ष को “ॐ क्रों क्षों रों नमः”का जाप कर के धारण करने से साधक साक्षात् विष्णु जी को मही धारण करता है |
♦तेरह मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- तेरह मुखी रुद्राक्ष काम देश स्वरुप है |
लाभ- इस रुद्राक्ष को धारण करने से समस्त कामनाओ की इच्छा भोगो की प्राप्ति होती है |
मंत्र- इसे “ॐ ह्रीं हुम नमः” का जाप कर के धारण करना चाहये |
♦ चौदह मुखी रुद्राक्ष-
स्वरुप- चौदह मुखी रुद्राक्ष अक्षि से उत्पन हुआ है,यह भगवान का नेत्र स्वरुप है |
लाभ- इस को धारण करने से साधक शिव तुल्य हो कर सब व्यधियो और रोगों को हर लेता है और आरोग्य प्रदान करता है |
मंत्र- इस रुद्राक्ष को “ॐ नमः शिवाय “ का जाप कर के धारण करना चाहिए |