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जानिए मंगलदोष शांति के उपाय: – पंडित दयानन्द शास्त्री

वैसे तो हमारे सभी वैदिक ग्रंथों और ज्योतिषीय ग्रंथों में मंगलदोष निवारण के अनेकानेक उपाय बताये गए है जैसे—

1.  लाल पुष्पों को जल में प्रवाहीत करे।

2 . मंगलवार को गुड़ व मसूर की दाल जरूर खायें।

3 . मंगलवार को रेवडि़या पानी में विसर्जित करे।

4 . आटे के पेड़े में गुड व चीनी मिलाकर गाय को खिलाये।

5 . मीठी रोटियों का दान करे।

6 . ताँबे के तार में डाले गये रूद्राक्ष की माला धारण करे।

7 . मंगलवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाये।

8 . बन्दरों को मीठी लाल वस्तु जैसे – जलेबी, इमरती, शक्करपारे आदि खिलाये।

9 . शिवजी या हनुमान जी के नित्य दर्शन करें और हनुमान चालीसा या महामृत्युन्जय मंत्र की रोजाना कम से कम एक माला का जाप करे। हनुमान जी के मन्दिर में दीपदान करें तथा बजरंग बाण का प्रत्.येक मंगलवार को पाठ करे।

10. गेहूँ , गुड़, मूंगा, मसूर, तांबा, सोना, लाल वस्त्र, केशर – कस्तूरी, लाल पुष्प , लाल चंदन , लाल रंग का. बैल, धी, पीले रंग की गाय, मीठा भोजन आदि लाल वस्तुओं का दान मंगलवार मध्यान्ह में करें। दीन में मंगल यंत्र का पूजन करें। मंगलवार को लाल वस्त्र पहने।

11 .शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से 21 या 45 मंगलवार तक अथवा पूरे वर्ष मंगलवार का व्रत करे। गुड़ का बना हलवा भोग लगाने व प्रसाद बाँटने के काम में लाये और सांयकाल को वही प्रसाद ग्रहण करे।

12 .जिस मंगलवार को व्रत करें उस दिन बिना नमक का भोजन एक बार विधिवत मंगल की पूजा अर्चना कर ग्रहण करे।

13. पति-पत्नि दोनों एक साथ रसोई में बैठकर भोजन करे।

14 .स्नान के बाद सूखे वस्त्र को हाथ लगाने से पहले पूर्व दिशा में मुँह करके सूर्य का अर्ध देकर प्रणाम करें। (सूर्य देव दिखाई दे या न दे).

15. शयन कक्ष में पलंग पर काँच लगे हो तो उन्हें हटा दे, मंगल का कोप नहीं रहेगा अन्यथा उस काँच में पति – पत्नि का जो भी अंग दिखाई देगा वह रोगग्रस्त हो जायेगा।

16. मन का कारक चन्द्रमा होता है जिसके कारण मन को चंचलता प्राप्त होती है। पति-पत्नि के बीच जब भी वाद-विवाद हो, उग्रता आने लगे तब दोनों में से कोई एक उस स्थान से हट जायें, चन्द्र संतुलित रहेगा।

17. शयन कक्ष में यदि रोजाना पति-पत्नि के बीच वाद-विवाद, झगड़े जैसी घटनाएँ होने लगे तो जन्म कुण्डली के बारहवें भाव में पड़े ग्रह की शान्ति कराये।

18. दाम्पत्य की दृष्टि से पत्नि को अपना सारा बनाव श्रृगांर (मेकअप) आदि सांयकाल या उसके पश्चात करना चाहिए जिससे गुरू , मंगल और सूर्य अनुकूल होता है। दीन में स्त्री जितना मेकअप करेगी पति से उसकी दूरी बढ़ेगी।

19. पति-पत्नि के बीच किसी मजबूरी के चलते स्वैच्छिक दूरी बढ़े तो पति-पत्नि दोनों को गहरे पीले रंग का पुखराज तर्जनी अंगुली में धारण करना चाहिए।

20. यह बात ध्यान रखें कि वैवाहिक जीवन में मंगल अहंकार देता है स्वाभिमान नहीं। दाम्पत्य जीवन की सफलता हेतु दोनों की ही आवश्यकता नहीं होती है। पाप ग्रहों का प्रभाव दाम्पत्य को बिगाड़ देता है। ऐसी स्थिती में चन्द्रमा के साथ जिस पाप ग्रह का प्रभाव हो उस ग्रह की शांति कराने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है। शुक्ल पक्ष मेें पति-पत्नी चाँदनी रात में चन्द्र दर्शन कर, चन्द्रमा की किरणों को अपने शरीर से अवश्य स्पर्श करवाये।

21. बाग – बगीचा, नदी , समुद्र, खेत, धार्मिक स्थल एवं पर्यटन स्थलों आदि पर पति – पत्नी साथ जायें तो श्रेष्ट होगा। इससे गुरू व शुक्र प्रसन्न होगें, इसके विपरीत कब्रिस्तान , कोर्ट – कचहरी , पुलिस थाना , शराब की दुकान , शमशान व सुना जंगल आदि स्थानों पर पति-पत्नी भूलकर भी साथ न जाये।

22. मंगल के कोप के कारण बार – बार संतान गर्भ में नष्ट होने से पति-पत्नी के बीच तनाव , रोग एवं परेशानियां उत्पन्न होती हैं ऐसी स्थिति में पति – पत्नी को महारूद्र या अतिरूद्र का पाठ करना चाहिए।

23. मंगल की अशुभ दशा , अन्तर्दशा में पति – पत्नी के बीच कलह , वाद – विवाद व अलगाव सम्भावित हैं। ऐसी स्थिती में गणपति स्त्रोत , देवी कवच , लक्ष्मी स्त्रोत , कार्तिकेय स्त्रोत एवं कुमार कार्तिकेय की नित्य पूजा अर्चना एवं पाठ करना चाहिए।

24. जिन युवक-युवतियों का विवाह मंगल दोष के कारण नहीं हो रहा हैं, उन्हें प्रतीक स्वरूप विवाह करना चाहिए। जिनमें कन्या का प्रतीक विवाह भगवान विष्णु से या सालिग्राम के पत्थर या मूर्ति से कराया जाता हैं। इसी प्रकार पुरूष का प्रतीक विवाह बैर की झाडि़यों से कराया जाता है।

25. विवाह के इच्छुक मांगलिक युवक-युवतियों को तांबें का सिक्का पाकेट या पर्स में रखना चाहिए। तांबें की अंगुठी अनामिका अंगुली में धारण करे, तांबे का छल्ला साथ रखें, रात्रि में तांबे के पात्र में जल भरकर रखें व प्रातः काल उसे पीयें।

26. प्रतिदिन तुलसी को जल चढ़ाने और तुलसी पत्र का सेवन करने से मंगल के अनिष्ठ शांत होते है।

27. अपना चरित्र हमेशा सही रखें । झूठ नहीं बोले । किसी को सताए नहीं । झूठी गवाही कभी भी ना देवे । दक्षिण दिशा वाले द्वार में न रहें । किसी से ईष्या, द्वेश भाव न रखे । यथा शक्ति दान करें ।

28. मंगलवार के दिन सौ गा्रम बादाम दक्षिणमुखी हनुमानजी के यहां ले जावे । उनमें से आधे बादाम मंदिर में रख देवे और आधे बादाम घर लाकर पूजा स्थल पर रखें । बादाम खुले में ही रखे । यह जब तक रखे जब तक की आपकी मंगल की महादशा चलती है ।

29. मूंगा या रूद्राक्ष की माला हमेशा अपने गले में धारण करें ।

30. आँखो में सुरमा लगावें । जमीन पर सोयें । गायत्री मंत्र का जाप संध्याकाल में करें ।

31. नित्य सुबह पिता अथवा बड़े भाई के चरण छुकर आशीर्वाद ले।

32 .मंगल की शांति हेतु मूंगा रत्न धारण करना चाहिए इसके लिए चांदी की अंगुठी में मूंगा जड़वाकर दायें हाथ की अनामिका में धारण करना चाहिए। मूंगा का वजन 6 रत्ती से अधिक होना चाहिए। धारण करने से पूर्व मूंगे को गंगाजल, गौमूत्र अथवा गुलाब जल से स्नान करवाकर शुद्ध करें तत्पश्चात विधि अनुसार धारण करे।

33. जो जातक मूंगा धारण नहीं कर सकते उन्हें तीनमुखी रूद्राक्ष धारण कराना चाहिए । तीन मुखी रूद्राक्ष को लाल धागे में गुथकर धूपित करके, मंगलवाल के दिन गले या दाहिने हाथ में धारण करें । इसके प्रभाव से उन्हें मंगल शांति में सफलता मिलती है।

34. क्रुर व उग्र होते हुए भी सौम्य ग्रहों की युति से मंगल विशेष सौम्य फल प्रदान करता है । चन्द्र व मंगल की युति आकस्मिक धनप्राप्ति, शनि मंगल की युति डुप्लीकेट सामान बनाने व नकल करने में माहिर बनाता हैं, ऐसा व्यक्ति कार्टूनिस्ट, पोट्रेट आर्टिस्ट व मुखौटे बनाने में निपुण हो सकता हैं । शुक्र व मंगल की युति फोटोग्राफी, सिनेमा तथा चित्रकारी आदि की योग्यता भी देता हैं। बुध के साथ युति होने पर जासूस का वैज्ञानिक और मांगलिक प्रभाव भी नष्ट करता है, किन्तु जिन घरों पर वह दृष्टि डालता हें वहां अवश्य ही हानि करने वाला होता है । कुण्डली में सातवां घर मंगल का ही माना जाता हैं क्योकिं यह मंगल की उच्च राशि हैं। अतः सातवां घर मंगल की स्वराशि का घर कहलाता है।
35 पुत्रहीनता तथा ऋणग्रस्तता दूषित मंगल की ही देन होती है । स्त्रियों में कामवासना का विशेष विचार भी मंगल से किया जाता है ।

  • लगन दूसरे भाव चतुर्थ भाव सप्तम भाव और बारहवें भाव के मंगल के लिये वैदिक उपाय बताये गये है,सबसे पहला उपाय तो मंगली जातक के साथ मंगली जातक की ही शादी करनी चाहिये। लेकिन एक जातक मंगली और उपरोक्त कारण अगर मिलते है तो दूसरे मे देखना चाहिये कि मंगल को शनि के द्वारा कहीं दृष्टि तो नही दी गयी है, कारण शनि ठंडा ग्रह है और जातक के मंगल को शांत रखने के लिये काफ़ी हद तक अपना कार्य करता है,दूसरे पति की कुंडली में मंगल असरकारक है और पत्नी की कुंडली में मंगल असरकारक नहीं है तो शादी नही करनी चाहिये।
  • वैसे मंगली पति और पत्नी को शादी के बाद लालवस्त्र पहिन कर तांबे के लोटे में चावल भरने के बाद लोटे पर सफ़ेद चन्दन को पोत कर एक लाल फ़ूल और एक रुपया लोटे पर रखकर पास के किसी हनुमान मन्दिर में रख कर आना चाहिये।
  • चान्दी की चौकोर डिब्बी में शहद भरकर रखने से भी मंगल का असर कम हो जाता है, घर में आने वाले महिमानों को मिठाई खिलाने से भी मंगल का असर कम रहता है,मंगल शनि और चन्द्र को मिलाकर दान करने से भी फ़ायदा मिलता है,मंगल से मीठी शनि से चाय और चन्द्र से दूध से बनी पिलानी चाहिये।
  • मंगल के प्रभाव से होने वाले रोगादि रक्त-सम्बन्धी रोग, पित्त विकार, मज्जा विकार, नेत्र विकार, जलन, तृष्णा, मिर्गी व उन्माद आदि मानसिक रोग, चर्म रोग, अस्थिभ्रंश, आॅपरेशन, दुर्घटना, रक्तस्त्राव व घाव, पशुभय, भूत-पिशाच के आवेश से होने वाली पीड़ाएं आदि विशेष हैं । निर्बल होने से यह जीवन शक्ति उत्साह व उमंग का नाश करता हैं ।

 

by Pandit Dayanand Shastri.