happy family photo

यदि रहना हैं सुखी और निरोग तो ध्यान रखें इन कुछ आसान और जरुरी बातों का-

 

  • बहुत सारी ऐसी बातें है जो हम जानते नहीं है या जान बूझ कर नजर अंदाज़ कर देते हैं। जैसे अक्सर हम लोग हमारे मोबाईल फोन में कॉलर ट्यून या हेलो ट्यून कोई भी मन्त्र की लगा लेते हैं जोकि सर्वथा अनुचित है।(अर्थात सही नही )क्यूंकि हर मन्त्र का अपना प्रभाव होता है। अपनी अलग ही तरंगे होती है। जब भी कभी कोई फोन करता है और घंटी की जगह मन्त्र उच्चारित होने लगता है।
  • पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कई बार फोन/मोबाईल जल्दी में ही उठा लिया जाता है और रिंगटोन मन्त्र आधा ही रह जाता है। यह आधा मन्त्र दोष दायक हो सकता है। आज कल फोन हर जगह ले जाया जाता है। बाथरूम में भी। अब सोचने वाली बात यह है क्या ये जगह मन्त्र के लिए उपयुक्त है???
  • हम अपने इष्ट देव की तस्वीर का भी कवर फोटो फ़ोन पर लगा देते हैं। यह मोबाइल फोन है, कहीं भी कभी आ सकता है। हम झट से उठा लेते हैं। डाइनिंग टेबल हो या बाथरूम।  हमें अशुद्ध हाथों से ईश्वर की तस्वीर छूनी नहीं चाहिए।
  • हम लोग घरों में भी जगह -जगह अपने इष्ट की तस्वीरें टांग देते है। यह तो सभी जानते हैं कि ईश्वर की तस्वीर शयनकक्ष में नहीं होनी चाहिए। लेकिन हम शयन कक्ष के अलावा भी अन्य कमरों में रसोई आदि में ईश्वर की तस्वीरे लगा देते हैं। बेशक ये हमारी धार्मिक प्रवृत्ति दर्शाती है  लेकिन यह प्रवृत्ति उचित नहीं है। घर में हर वस्तु का एक नियत स्थान होता है, जहां आपने इसके लिये उपयुक्त जगह बनाई है वही पर स्थान पर लगाये तो अच्छा है। बैठक हो या भोजन कक्ष , यहां पर परिवार की हंसती खुशनुमा तस्वीर होनी चाहिए। हमारी बैठक(ड्राइंग रुम) में सभी तरह के लोग मिलने आते जाते है। आज -कल उनके स्वागत के लिए विभिन्न प्रकार के ‘पेय ‘पदार्थ भी दिए जाते हैं या छोटी -बड़ी पार्टियाँ भी की जाती है ।ऐसे में वहां भगवान की तस्वीर लगाने से बचे,  ऐसे में नकारात्मकता ही बढती है।रसोई में अगर चित्र लगाना हो तो अन्नपूर्णा देवी का लगाया जा सकता है। वह भी इस शर्त पर वहां मांसाहार न पकाया जाता हो।ईश्वर के लिए घर में जहाँ मंदिर या अन्य स्थान दिया होता है। वहीँ होना चाहिए। सुबह शाम धूप -दीप किया जाना चाहिए। पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अक्सर लोगो के घरों में पत्थर के बने मदिर भी पाए जाते हैं । यह भी गलत है। मूर्तियों की स्थापना भी करते हैं।
  •  घर अगर घर बना रहे तो ही अच्छा है , मूर्तियों के लिए देवालय बने हैं। अगर मूर्ति रखनी ही है उसकी  तो ऊँचाई 4 इंच से बड़ी ना रखें। ऐसे बहुत सारी बातें और भी है जिन पर हम दृष्टि डाल कर भी अनदेखा कर देते हैं जो उचित नही है। ऐसी अमूल्य या उचित बातों की अनदेखी के कारण ही हम लोग कई बार परेशानियों से घिर जाते हैं अतः थोड़ी सी समझदारी द्वारा अनेकानेक परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती हैं।

by Pandit Dayanand Shastri.